वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम के बीच से रवाना हुए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ भावनात्मक बातों से दूरगामी राजनीति के संकेत
गांधीनगर, 10 जनवरी (हि.स.)। वाइब्रेंट गुजरात समिट के उद्घाटन मौके पर आए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद को बीच कार्यक्रम से ही रवाना होना पड़ा। गांधीनगर के महात्मा मंदिर में उद्घाटन समारोह में यूएई के राष्ट्रपति ने अपना भाषण दिया, इसके थोड़ी देर बाद वे रवाना हो गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें बाहर तक छोड़ने गए। इस दौरान कार्यक्रम जारी रहा और अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखी। बाद में प्रधानमंत्री ने यूएई के साथ भारत के संबंधों पर विस्तार से बात की। उनकी बातचीत में राजनीतिक दूरदर्शिता के साथ भारत के वैश्विक मंच पर दमदार भूमिका निभाने का स्पष्ट संकेत साफ-साफ नजर आया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाइब्रेंट समिट में यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के नेतृत्व में यूएई के सहयोगी होने पर आनंद व्यक्त करते हुए कहा कि इस समिट के मुख्य अतिथि के रूप में यूएई के राष्ट्रपति की उपस्थिति दोनों देशों के बीच दिनों-दिन मजबूत हो रहे आत्मीय संबंधों का प्रतीक है।
भारत-यूएई के बीच घनिष्ठ होते जा रहे व्यापारिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि फूड पार्क के विकास, रिन्यूएबल एनर्जी तथा इनोवेटिव हेल्थ केयर में निवेश और भारत में पोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए यूएई की कंपनियों द्वारा बिलियन डॉलर से अधिक एमओयू हुए हैं। यूएई के सोवरेन फंड्स द्वारा गिफ्ट सिटी में शुरू हुए ऑपरेशन तथा ट्रांसवर्ल्ड कंपनी द्वारा शुरू होने वाले एयरक्राफ्ट एवं शिप लीजिंग गतिविधियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच हुए मजबूत संबंधों का श्रेय यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को दिया।
अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता पर जताया गर्व
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने मोजाम्बिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी का समिट में स्वागत करते हुए कहा कि वे आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं। नरेन्द्र मोदी ने भारत की अध्यक्षता में जी-20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता मिलने पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि मोजाम्बिक के राष्ट्रपति की उपस्थिति दोनों देशों के बीच संबंधों के अलावा भारत तथा अफ्रीका के बीच भी संबंधों को घनिष्ठ बनाएगी। यह कहते हुए कि चेक रिपब्लिक शुरुआत से ही वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन में भागीदार रहा है, उन्होंने कहा कि चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री के रूप में पीटर फियाला की पहली भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे होंगे। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सहयोग की बात कही।
डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ तिमोर लेस्ता के राष्ट्रपति जोस रामोस होर्टा का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत को अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने वाले जोस की गांधीनगर यात्रा बहुत ही विशेष है। उन्होंने आसियान समेत अन्य संगठनों में तिमोर लेस्ते के साथ सहयोग को बेहद महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 20 वर्षों में वाइब्रेंट शिखर सम्मेलन ने विश्व स्तर पर नए विचारों के मंच के रूप में काम किया है और नए निवेश के लिए नए मार्ग प्रशस्त किए हैं। 10वें वाइब्रेंट गुजरात समिट की थीम 'गेटवे टू द फ्यूचर' का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के उज्ज्वल भविष्य के लिए हम सभी को संयुक्त प्रयास करना होगा। भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान विश्व के लिए भविष्य का रोड मैप प्रस्तुत किया गया था और इसे वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के विजन के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।
“एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य” का सिद्धांत
भारत आई2यू2 और अन्य बहुपक्षीय संगठनों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत कर रहा है। भारत का “एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य” का सिद्धांत विश्व कल्याण के लिए अनिवार्य है। भारत “विश्व-मित्र” देश बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने दुनिया को आश्वस्त किया है कि आपसी सहयोग से साझा सामूहिक लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिभा, समर्पण और कड़ी मेहनत दुनिया को अधिक सुरक्षित और समृद्ध बना रही है। दुनिया अब भारत को स्थिरता के पर्याय के रूप में, एक भागीदार के रूप में जो जन-केंद्रित विकास में विश्वास करता है, वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास के इंजन के रूप में, समाधान खोजने वाली प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में और प्रतिभाशाली युवाओं व एक सफल लोकतंत्र के पावरहाउस के रूप में देखती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के 1.4 बिलियन नागरिकों की ताकत, जन-केंद्रित समावेशी और समानता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता, वैश्विक समृद्धि और विकास के लिए प्रेरक कारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन 10 साल पहले हमारा देश 11वें स्थान पर था। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में शामिल होगा। विशेषज्ञ इसका विश्लेषण करें लेकिन मैं गारंटी देता हूं कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। यह कहते हुए कि भारत कई अनिश्चितताओं से घिरी दुनिया के लिए एक नई आशा बन रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास स्थायी उद्योगों, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे, नए युग के लिए कौशल, उन्नत प्रौद्योगिकी, नवाचार, ग्रीन हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में कई विशाल अवसर हैं।
प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था की स्थिरता और निरंतर विकास के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण को आधार बताया, जिससे अर्थव्यवस्था की क्षमता, ताकत और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है। जीएसटी ने कर व्यवस्था को आसान बना दिया है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर यूएई के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का भी उल्लेख किया और कहा कि एफटीए से बुनियादी ढांचे में रिकॉर्ड निवेश और पूंजीगत व्यय में पांच गुना वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत में ग्रीन एवं वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में अपार प्रगति, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तीन गुना वृद्धि, सौर ऊर्जा क्षमता में 20 गुना वृद्धि आकर्षण का केंद्र बनेंगी। कम प्राइस में डेटा की उपलब्धता के साथ दूरवर्ती क्षेत्रों में अंतिम व्यक्ति तक डेटा की पहुंच भारत की पहचान है। प्रधानमंत्री ने हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर व 5जी की उपलब्ध सेवा, और देश में पंजीकृत स्टार्टअप्स के मामले में विश्व में भारत के तीसरे स्थान के बारे में भी उल्लेख किया।
उन्होंने देश में हो रहे परिवर्तनों से ईज ऑफ लिविंग में हो रहे निरंतर सुधार का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में 13 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इतना ही नहीं, मध्यम वर्ग की औसत आय में लगातार वृद्धि हो रही है। इस अवसर पर उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से भारत में निवेश करने की अपील भी की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लॉजिस्टिक्स और परिवहन व्यवस्था में आधुनिक नीतिगत सुधारों से विकास को एक नई ऊंचाई प्राप्त हुई है। एक दशक में हवाई अड्डों की संख्या 74 से 159 हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग का नेटवर्क दोगुना करने, मेट्रो नेटवर्क को तिगुना करने, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, राष्ट्रीय जल मार्ग और बंदरगाहों के विकास के अलावा जी20 के दौरान घोषित किए गए इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर भी उन्होंने प्रकाश डालते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में निवेश के काफी अवसर मौजूद हैं। प्रधानमंत्री ने इस अमृत काल की प्रथम वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में उपस्थित 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों को भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट समिट इकोनॉमिक डेवलपमेंट तथा इन्वेस्टमेंट से जुड़ी जानकारियों तथा अनुभवों को शेयर करने का ग्लोबल प्लेटफॉर्म बनी है।
हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/आकाश