स्मृति शेष : दून की खूबसूरती के कायल थे मशहूर गजल गायक पंकज उधास
-बीस साल पहले देहरादून आकर आहिस्ता से कही थी दिल की बात
देहरादून, 27 फरवरी (हिस)। मशहूर गजल गायक पंकज उधास की एक गजल है 'और आहिस्ता कीजे बातें, धड़कनें कोई सुन रहा होगा'। बीस साल पहले दून आए नामचीन गजल गायक पंकज उधास ने आहिस्ता से ही अपने दिल की बात कही थी और दून की खूबसूरती की चर्चा की थी। उन्होंने बताया था कि दून उन्हें बेहद पसंद आया है। यहां की खूबसूरती, यहां का सुकून, पंकज उधास को सभी कुछ बेहद भाया था।
गजल गायक पंकज उधास का देहरादून कई बार आना हुआ। देश के तमाम दूसरे हिस्सों की तरह ही दून में भी उनके प्रशंसकों की एक लंबी फेहरिस्त रही है। दूनवासी उनकी मखमली आवाज के उसी तरह दीवाने रहे हैं, जैसे दूसरी जगहों पर हैं। इसलिए बीस साल पहले उनके कार्यक्रम में बहुत भीड़ उमड़ी थी। राजपुर रोड में स्थित एक होटल में पंकज उधास ठहरे हुए थे। उन्हें शाम को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शहर के दूसरे कोने में जाना था। होटल में चहलकदमी करते पंकज उधास का चिर परिचित अंदाज सामने था। करीने से संवरे लंबे बाल, घनी मूंछें, काले रंग का ब्लेजर व पैंट और चेहरे पर नुमाया गहरी खामोशी। सवाल कई थे, मगर संशय भी अपनी जगह था। पंकज उधास से मुलाकात संभव होगी या नहीं। बातचीत करने में वह दिलचस्पी दिखाएंगे भी या नहीं। वगैरह-वगैररह। इस संवाददाता ने बातचीत की इच्छा जताई, तो पंकज उधास तैयार हो गए। फिर काफी देर तक होटल के लॉन में टहलते हुए गजल गायिकी के अनमोल सितारे ने काफी कुछ बातें कीं।
पंकज उधास ने गजल गायिकी के बदलते स्वरूप पर चर्चा की। खास से आम लोगों के बीच गजल के पहुंचने पर भी अपने विचार रखे। जगजीत सिंह, तलत अजीज जैसे गायकों के साथ इस सबंध में अपने योगदान को भी विनम्रता से स्वीकार किया। अपनी एक प्रसि़द्ध गजल में जिस तरह से उन्होंने और आहिस्ता कीजे बातें का अनुरोध किया था, सवालों के जवाब देते हुए वह खुद भी उसका अनुसरण करते नजर आए। उनके हर एक बोल बेहद नाजुक थे। नफासत से भरे थे। कानों में उसी तरह से मिठास घोल रहे थे, जैसा उनकी हर गजल को सुनते हुए हर बात महसूस होता है। बहुत सारी बातों के बीच ही उन्होंने दून की खूबसूरती, यहां पसरे सुकून की तारीफ की थी। अलविदा, पंकज उधास! मखमली, रेशमी आवाज हमेशा गूंजती रहेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/विपिन बनियाल/रामानुज