मप्रः विधानसभा अध्यक्ष ने की ई-विधानसभा की मांग, मुख्यमंत्री ने दिया समर्थन का आश्वासन
भोपाल, 9 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को विधानसभा में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष विधानसभा में ई-विधान व्यवस्था की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री डॉ यादव ने इस दिशा में सरकार के पूरे समर्थन का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद रहे।
मध्यप्रदेश विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी संबोधन हुआ। इस दौरान मप्र विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से अनुरोध किया कि राज्य विधानसभा में ई-विधान की व्यवस्था हो, इससे जुड़ी परियोजना सरकार के पास विचाराधीन है, जो मंजूर हो जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि विधायकों के निवास की नई परियोजना भी सरकार ले ले।
इस पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन के दौरान ई-विधान व्यवस्था के संबंध में कहा कि सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी। इसके लिए जो राशि होगी, वह सरकार देने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ''मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने विधानसभा को आधुनिक संसाधनों के साथ आगे बढ़ाने की जो बात कही है, मैं विश्वास दिलाता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार आपकी बात का पूर्ण समर्थन करते हुए हमेशा आपके साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने एमएलए रेस्ट हाउस के प्रस्ताव पर कहा कि सरकार सभी विधायकों को उसकी सुविधा देने का प्रयास करेगी।
सदन में विधायकों की उपस्थिति जरूरी, चिल्लाकर अपनी बात रखना जरूरी नहीं
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधायकों को बतौर विधायक अपना व्यक्तित्व निखारने के लिए सदन में उपस्थित रहना बहुत आवश्यक है। सदन में चिल्ला-चिल्ला कर अपनी बात रखना कतई जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रबोधन कार्यक्रम के लिए लोकसभा सचिवालय की ओर से मध्यप्रदेश विधानसभा को बहुत सहयोग मिला।
विधायकों को बेहतर जनप्रतिनिधि बनने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र की अपेक्षा कैसे पूरी हों, इसके लिए कृतित्व को पैना करना, अनुशासित करना जरूरी है। ये करके ही कृतित्व व्यक्तित्व को निखारेगा, उससे क्षेत्र में विधायकों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि विधायक के तौर पर कल्पना रहती है कि मुझे बोलना चाहिए। इन दिनों चिल्ला-चिल्ला के बोलने का भी एक प्रचलन है, लेकिन सदन में बात रखते हुए व्यक्ति का जोर से बोलना जरूरी नहीं है। विधायक को सदन में बोलने के लिए कई प्लेटफॉर्म मिले हुए हैं, बहुत कम सदस्य सभी का उपयोग करते हैं। कई बार एक प्रश्न पर ही अड़ जाते हैं, बिना नियम के बोलने की अनुमति चाहते हैं, तो दिक्कत होती है।
तोमर ने कहा कि शासकीय व्यवस्था में सबसे छोटा कर्मचारी चपरासी और सबसे बड़ा आईएएस होता है। मान्यता है कि आईएएस सभी विधाओं में पारंगत है, लेकिन उसे भी साल दो साल में रिफ्रेशमेंट के लिए जाना पड़ता है। विधायक बनने के लिए कोई परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं, लेकिन दायित्व का निर्वहन करने के लिए प्रशिक्षण का महत्व है।
उन्होंने कहा कि विधायकों की सदन में उपस्थिति जरूरी है। जब लोगों के ध्यान में आएगा कि उनके विधायक गहराई से ध्यान देते हैं, तो वे विधायक के तौर पर अच्छी छवि बनाएंगे। उन्होंने कहा कि जनता से जुड़े विषयों को ध्यान में रखें। छोटे मुद्दे भी जरूरी हैं, पर व्यापक चीजों को भी देखें।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात