सांसदों के निलंबन को तृणमूल ने बताया तानाशाही

 


कोलकाता, 19 दिसंबर (हि.स.)। तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा के 49 सदस्यों के निलंबन की निंदा की है। पार्टी ने केंद्र सरकार के इस कदम को तानाशाही रवैया करार दिया है और कहा है कि सरकार सदन में विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल ने संसद में हालिया सुरक्षा चूक मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान की भी मांग की। संसद से 78 विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर लोकसभा के 49 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया।

इस पर तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने सवाल किया कि क्या संसद की सुरक्षा में चूक के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री से बयान की मांग करना अपराध है? अगर वह बयान नहीं देंगे, तो कौन देगा? एक सोशल मीडिया पोस्ट में तृणमूल ने कहा कि विपक्ष को चुप कराने की कोशिशें निरर्थक साबित होंगी। पार्टी ने अपने बयान में कहा कि विपक्ष को चुप करा दिया गया है, 140 से अधिक सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया गया है। क्यों? केवल चर्चा, बहस और गृह मंत्री अमित शाह से एक बयान की मांग के लिए। भारत का लोकतंत्र खतरे में है।

भाजपा का पलटवार

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। जिस तरह वह पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता को नियमित रूप से निलंबित कर रही है, उससे लोकतंत्र के बारे में पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/गंगा/आकाश