ग्रामीण अंचल में डायबिटीज का फैलाव चिंताजनक, भारत में महामारी का रूप ले रहा : डॉ. जितेंद्र सिंह
वाराणसी, 29 दिसम्बर (हि.स.)। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,प्रधानमंत्री कार्यालय डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को यहां पुराना रामनगर गांव में ग्रामीण मधुमेह रोकथाम एवं नियंत्रण अभियान का शुभारंभ किया।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मधुमेह बीमारी की पहचान अधिकतर अमीर और संभ्रांत लोगों और शहरों तक ही सीमित थी, जिसका मुख्य कारण उनकी जीवनशैली थी, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में इसका फैलाव चिंताजनक है। ग्रामीण भारत में इस बीमारी को बढ़ने का संभावित कारण फास्ट फूड के प्रति रुझान, कृषि में अधिक अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग और उसके परिणामस्वरूप शारीरिक गतिविधियों में कमी को पाया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के दिशा निर्देशों के अनुरूप पिछले तीन दशकों में देश में मधुमेह पीड़ितों की संख्या में 150 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। आज शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मधुमेह 25-34 वर्ष के आयुवर्ग में तेजी से फैल रहा है और मुख्य चिंता कम उम्र में टाइप 2 मधुमेह का निदान करने की है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में टाइप 2 डायबिटीज मैलिटस का फैलाव भारत में महामारी का रूप ले रहा है। इतनी बड़ी जनसंख्या मधुमेह बीमारी की कगार पर है, इसे तभी रोका जा सकता है जब हम बड़े शहरों के आस-पास के गांवों में मधुमेह की रोकथाम के लिए काम करना शुरू करें। इस पहल के लिए वाराणसी के रामनगर गांव को चुनने का विचार काफी उचित है।
उन्होंने कहा कि मधुमेह की रोकथाम न केवल स्वास्थ्य देखभाल के प्रति हमारा कर्तव्य है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति भी हमारा दायित्व है, क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहां 70 प्रतिशत जनसंख्या 40 वर्ष से कम उम्र की है। आज के युवा विकसित भारत 2047 के प्रधान नागरिक बनने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम भारत (आरएसएसडीआई) उत्तर प्रदेश चैप्टर के अंतर्गत रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज के तत्वावधान में एक गांव गोद लेने के संबंध में आयोजित किया गया। जिससे ग्राम में मधुमेह बीमारी पर नियंत्रण लगाया जा सके।
केंद्र सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए कार्य कर रही
कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है, उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर निशुल्क रक्त शर्करा परीक्षण अभियान, सामान्य स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी, आयुष्मान भारत, वेलनेस क्लीनिक, सभी जिला सरकारी अस्पतालों में किडनी डायलिसिस सुविधा, योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रयासों के साथ-साथ गैर-सरकारी एजेंसियों और समाज को भी इसकी रोकथाम करनी होगी और इस बीमारी के प्रति जागरूकता का प्रसार करना होगा। उन्होंने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्षों का रोडमैप सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की दिशा में भारत दुनिया के अग्रणी देश के रूप में उभरने का साक्ष्य बनेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश