जीवित प्राणियों का परस्पर जुड़ाव वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को प्रतिध्वनित करता है : परषोत्तम रूपाला

 


नई दिल्ली, 16 नवंबर (हि.स.)। जानवरों का कल्याण भारतीय संस्कृति और संस्कृति के लोकाचार का अभिन्न अंग है, जो वैश्विक वन हेल्थ आंदोलन की आधुनिक अवधारणा के साथ सहजता से मेल खाता है। जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की परस्पर निर्भरता और इसके लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर देता है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने आज यहां पर एशिया और प्रशांत के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) क्षेत्रीय आयोग के 33वें सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करने के दौरान यह बात कही।

मंत्री ने भारतीय परंपरा और संस्कृति की समृद्ध परंपरा में पशु कल्याण के गहरे महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवित प्राणियों का परस्पर जुड़ाव वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को प्रतिध्वनित करता है, जिसका अर्थ है कि दुनिया एक परिवार है यह मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व और अंतर्संबंध के महत्व को रेखांकित करता है।

इस सम्मेलन में 24 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों, निजी क्षेत्र और निजी पशु चिकित्सा संगठनों के प्रतिनिधियों ने शारीरिक रूप से भाग लिया। यहां पर इंडोनेशिया ने एशिया और प्रशांत के लिए 34वें डब्ल्यूओएएच क्षेत्रीय सम्मेलन की मेजबानी करने की इच्छा व्यक्त की। एशिया प्रशांत क्षेत्रीय आयोग, डब्ल्यूओएएच के अध्यक्ष डॉ बाओक्सू हुआंग ने समापन सत्र के दौरान धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

भारत ने 13 से 16 नवंबर, 2023 तक एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए डब्ल्यूओएएच क्षेत्रीय आयोग के 33वें सम्मेलन की मेजबानी की। यह चार दिवसीय कार्यक्रम नई दिल्ली में डब्ल्यूओएएच द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम की मेजबानी करने का निर्णय मई 2023 में पेरिस में डब्ल्यूओएएच के प्रतिनिधियों की विश्व सभा के 90वें आम सत्र के दौरान किया गया था।

हिन्दुस्थान समाचार/बिरंचि सिंह/आकाश