दलहन, तिलहन और सब्जियों का उत्पादन, भंडारण और विपणन संग कृषि अनुसंधान व स्टार्टअप पर रहेगा सरकार का जाेर
नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कृषि और कृषि से संबधित क्षेत्राें के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए। वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के महत्व पर जोर देते हुए घोषणा की कि अनुसंधान और विकास पहलों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाएगा, विशेष रूप से दालों और तिलहनों के उत्पादन, भंडारण और विपणन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, हम उनके उत्पादन, भंडारण और विपणन को मजबूत करेंगे। इस पहल का उद्देश्य सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। उन्होंने कहा, अंतरिम बजट में की गई घोषणा के अनुसार सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने की रणनीति बनाई गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने के लिए बजट में प्रमुख उपभोग केंद्रों के पास सब्जी उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर क्लस्टर विकसित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा, सब्जी उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर क्लस्टर प्रमुख उपभोग केंद्रों के करीब विकसित किए जाएंगे। उन्हाेंने आगे कहा कि हम संग्रह, भंडारण और विपणन सहित सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए किसान उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देंगे।
सीतारमण ने कहा, कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की सुविधा के लिए तीन साल की योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य किसानों और उनकी भूमि को व्यापक रूप से कवर करना है। उन्हाेंने कहा, हमारी सरकार 3 साल में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए कृषि में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की सुविधा प्रदान करेगी। इस वर्ष के दौरान खरीफ के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण 400 जिलों में किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा, छह करोड़ किसानों और उनकी भूमि का विवरण किसान और भूमि रजिस्ट्री में लाया जाएगा। पांच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने की सुविधा दी जाएगी। जिसमें जलीय कृषि के तहत बजट में झींगा पालन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। झींगा पालन और निर्यात के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से वित्तपोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि, सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित और सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक नई राष्ट्रीय सहयोग नीति पेश की जाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को तेजी से आगे बढ़ाना और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना नीति का लक्ष्य होगा। इस नीति का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को तेजी से आगे बढ़ाना और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिरंचि सिंह / रामानुज