'एंड ऑफ कॉलोनियम लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन' पुस्तक का लोकार्पण, नए कानूनों काे समझना होगा आसान
नई दिल्ली, 23 मई (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी दुबे की पुस्तक ''एंड ऑफ कॉलोनियम लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन'' का लोकार्पण किया। लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में किया गया।
इस मौके पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अंग्रेजों के कालू कानूनों को समाप्त करते हुए तीन नये कानून लागू करके लोगों को जल्दी और आसान न्याय दिलाने की व्यवस्था लागू की है। देश में स्वच्छता अभियान के माध्यम से सफाई का संदेश ही नहीं दिया है बल्कि सभी क्षेत्रों से कचरा निकालने का भी काम किया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न्याय जगत से जुड़े लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
इस मौके पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के जज जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा कि वैदिक काल से भारत में न्याय की परंपरा रही है। न्याय को धर्म का पर्यायवाची माना जाता था। न्याय और धर्म ईश्वरीय आधारित व्यवस्था रही। एंड ऑफ कॉलोनियम लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन पुस्तक से नए कानूनों काे समझना बहुत आसान होगा। न्याय प्रक्रिया को अश्वनी दुबे ने पुस्तक में गंभीरता से उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट में जज रहे जस्टिस नवीन सिन्हा ने कहा कि अश्वनी दुबे की पुस्तक कानूनविदों के साथ-साथ कानून की पढ़ाई करने वालों के लिए भी उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि कानूनों के सरल होने से लोगों को जल्दी न्याय मिलेगा और न्याय पालिका मजबूत होगी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष आलोक मेहता ने कहा कि पुस्तक एंड ऑफ कॉलोनियम लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन नए कानूनों की जानकारी देने के साथ ही भारत की प्राचीन न्याय व्यवस्था के बारे में प्रामाणिक जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाने के कारण न्यायाधीशों और वकीलों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। इस कारण वकालत के पेशे में ईमानदारी आवश्यक है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश खन्ना ने कहा कि नए कानूनों के बारे लिखी गई पहली किताब एंड ऑफ कॉलोनियम लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन में गहनता से वर्णन किया गया है।
बेनेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ के डीन डा. प्रदीप कुलश्रेष्ठ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव रोहित पांडेय आदि ने विचार व्यक्त किए। लोकार्पण समारोह में दिल्ली के न्याय जगत की महत्वपूर्ण हस्तियों ने हिस्सा लिया।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल