मंदिर की अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजन और व्यापार को मिलता है बढ़ावा: डॉ हरि बाबू कंभमपति

 


-मिजोरम के राज्यपाल ने सपत्नी बाबा विश्वनाथ के दरबार में लगाई हाजिरी, संगोष्ठी में हुए शामिल

वाराणसी, 02 मई (हि.स.)। मिजोरम के राज्यपाल डॉ हरि बाबू कंभमपति ने गुरुवार को एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि मंदिर की अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजन तथा व्यापार को बढ़ावा मिलता है। समाज के हर वर्ग को अवसर मिलता है। भले ही वह किसी अन्य धर्म का अनुयायी हो।

राज्यपाल ने कहा कि सनातन परंपरा में बहुदेव पूजन प्रथा और मान्यता का परिणाम है कि भक्त अलग-अलग स्थानों पर अपने आराध्य दर्शन हेतु तीर्थ यात्रा पर जाते हैं और तीर्थ यात्रा की समस्त आवश्यकताएं अर्थव्यवस्था में योगदान करती हैं।

दो दिवसीय काशी दौरे पर आए राज्यपाल श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर स्थित त्रयम्बकेश्वर सभागार में आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। वे 'मंदिर अर्थव्यवस्था एवं धर्मक्षेत्र विकास का राष्ट्रीय उन्नति में योगदान' विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मिजोरम के राज्यपाल ने अपने विचार रखे।

पहली बार काशी आए राज्यपाल ने कहा कि काशी आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि यहां पहली बार आये हैं। यहां के मंदिर की व्यवस्था और सौंदर्य अत्यधिक प्रभावशाली है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत के प्रत्येक राज्य के ट्रेवल ऑपरेटर के साथ मिलकर ऐसी योजना बनायी जाये, जिससे उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों के टूर पैकेज का विकल्प पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। इससे निकटवर्ती पहाड़ियों, जलप्रपातों, बड़ी वाटर बॉडीज एवं अन्य धर्मस्थलों इत्यादि के समेकित विकल्प के एक पैकेज में उपलब्ध होने पर और भी अधिक तीर्थ यात्री काशी दर्शन हेतु आयेंगे।

इसके पहले रामलला की नगरी अयोध्या से काशी आए राज्यपाल ने सपत्नीक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विधिवत दर्शन पूजन किया। दरबार में दर्शन पूजन के बाद राज्यपाल ने परिसर स्थित भौमेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया। इसके बाद काशी विश्वनाथ धाम का अवलोकन करने के बाद गंगा गेट से मां गंगा का दर्शन भी किया। धाम में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इंडिया थिंक काउंसिल के सहयोग से गोष्ठी का आयोजन किया था। न्यास के सदस्य ब्रज भूषण ओझा ने स्वागत भाषण दिया। काशी माहात्म्य तथा कॉरिडोर के विकास पर विस्तृत प्रकाश प्रो. जनार्दन माधव रटाटे ने डाला। धन्यवाद ज्ञापन मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने दिया।

मंदिर के सीईओ ने कहा कि काशी में यह स्थापित मान्यता है कि किसी देव विग्रह की विश्व में कहीं भी प्राण प्रतिष्ठा तब तक नहीं पूर्ण होती जब तक उसकी अंश स्थापना काशी में न की जाए। यही कारण है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, चारों धाम समेत समस्त पौराणिक मंदिरों की प्रतिकृति यहां स्थापित हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश/आकाश