राजद नेता सुनील सिंह बिस्कोमान अध्यक्ष पद से हटाए गए, अब विधान परिषद की सदस्यता पर भी संकट
पटना, 26 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एमएलसी सुनील सिंह काे बिस्कोमान अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। इस संबंध में भारत सरकार ने पत्र जारी किया है। इसके साथ ही आज उनकी विधान परिषद की सदस्यता भी रद हो सकती है। विधान परिषद की आचार समिति ने सुनील सिंह पर कार्रवाई की अनुशंसा की है।
भारत सरकार के पत्र में लिखा है कि बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) बिहार एवं झारखंड में प्रशासक की नियुक्ति के संबंध में, चूंकि बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ (बिस्कोमान) की चुनाव प्रक्रिया को सहकारी चुनाव प्राधिकरण द्वारा आदेश संख्या सीईए- 12011/ 36/ 2024 दिनांक 22 जुलाई 2024 (संलग्न) के तहत रद्द कर दिया गया है।सहकारी चुनाव प्राधिकरण ने एमएससीएस अधिनियम की धारा 123(1) के तहत बिस्कोमान में प्रशासक की नियुक्ति के लिए आगे की सिफारिश की है, क्योंकि बिस्कोमान के पिछले निदेशक मंडल (बीओडी) का कार्यकाल 24.06.2024 को समाप्त हो गया है और आज की तारीख तक कोई बोर्ड मौजूद नहीं है। बिस्कोमान एमएससीएस अधिनियम, 2002 की धारा 122 के तहत एक निर्दिष्ट बहु-राज्य सहकारी समिति है। त्र में लिखा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर और उपरोक्त बहु-राज्य सहकारी समिति में निदेशक मंडल के चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन के हित में, जिसमें इसके स्वस्थ कामकाज भी शामिल हैं, केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव (आईएएस-2010) सेवानिवृत्त को नियुक्त करती है. एमएससीएस अधिनियम की धारा 123(1) के तहत प्रशासक के रूप में, इस आदेश के जारी होने की तारीख से छह महीने से अधिक की अवधि के लिए सोसायटी के मामलों का प्रबंधन करने और एमएससीएस अधिनियम और नियम, 2002 के प्रावधानों के अनुसार सोसायटी के चुनाव कराने के लिए नियुक्त किया गया है।
पत्र में लिखा है कि प्रशासक, केंद्र सरकार के नियंत्रण और उसके द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले निर्देशों के अधीन रहते हुए, बिस्कोमान के बोर्ड या किसी अधिकारी के सभी या किसी भी कार्य को करने और बिस्कोमान के हित में आवश्यक सभी कार्रवाई करने की शक्ति रखेगा. एमएससीएस अधिनियम, 2002 की धारा 123(5) में अन्यथा प्रावधान के सिवाय प्रशासक, अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले, बिस्कोमान के उपनियमों के अनुसार एक नए बोर्ड के गठन की व्यवस्था करेगा। यदि प्रशासक के पद पर रहने की अवधि के दौरान किसी भी समय केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है, तो वह इसके लिए कारण बताते हुए लिखित आदेश द्वारा प्रशासक को निर्देश दे सकेगी कि वह बिस्कोमान के लिए उसके उपनियमों के अनुसार एक नए बोर्ड के गठन की व्यवस्था करे और ऐसे बोर्ड के गठन के तुरंत बाद प्रशासक बिस्कोमान का प्रबंधन ऐसे नवगठित बोर्ड को सौंप देगा और कार्य करना बंद कर देगा।
हिन्दुस्थान समाचार / चंदा कुमारी / मुकुंद