विद्यार्थी अपनी सोच व कार्यों से देश व दुनिया की समस्याओं का समाधान खोजें : राष्ट्रपति

 




-परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष काकोडकर डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से विभूषित

-ट्रिपल आईटीएम का चतुर्थ दीक्षांत समारोह में सात विद्यार्थियों को गोल्ड मैडल और 283 विद्यार्थियों को मिली उपाधियां

ग्वालियर, 13 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विद्यार्थी आत्मविश्वास के साथ दुनिया में कदम रखें और आगे बढ़ते जाएं। लक्ष्य से निगाह न हटने दें। कोई भी बाधा और कोई भी चुनौती आपको अपना लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक पाएगी। सफल होकर आप सब दूसरों को भी आगे बढ़ने में मदद करें। साथ ही शिक्षा का उपयोग कर देश को आगे ले जाएं और अपनी सोच व कार्यों से देश व दुनिया की समस्याओं का समाधान ढूंढने में योगदान दें।

राष्ट्रपति मुर्मू गुरुवार को ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान ग्वालियर (ट्रिपल आईटीएम) के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं। समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, ट्रिपल आईटीएम संचालक मण्डल के अध्यक्ष दीपक घैसास एवं ट्रिपल आईटीएम के निदेशक प्रो. श्रीनिवास सिंह मंचासीन थे। इस अवसर पर प्रदेश के मंत्रीगण तुलसीराम सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर एवं ट्रिपल आईटीएम संचालक मण्डल के सदस्यगण मौजूद रहे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्रिपल आईटीएम के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व चेयरमेन पद्मविभूषण डॉ अनिल काकोडकर को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। साथ ही सात विद्यार्थियों को गोल्ड मैडल प्रदान किए गए। ट्रिपल आईटीएम से वर्ष 2023 में पास आउट 283 विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में बीटेक, एमटेक एवं मैनेजमेंट की उपाधियां प्रदान की गईं। दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचीं राष्ट्रपति ने ट्रिपल आईटीएम में 500 बैड के छात्रावास की आधारशिला भी रखी। साथ ही मलिन बस्तियों के बच्चों से मुलाकात कर उन्हें पुस्तकें भेंट कीं।

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से अपेक्षा व्यक्त की कि आप सब समाज के उन लोगों के बारे में भी सोचें कि जो विकास की यात्रा में थोड़े पीछे रह गए हैं। समाज के प्रति उत्तरदायित्व की धारणा आपकी प्रगति के लिये भी उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि दूसरों की सहायता करने से स्वयं की क्षमताओं का भी विकास होता है, यह मेरा भी निजी अनुभव है।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति की सबसे बड़ी आबादी मध्यप्रदेश में रहती है। प्रसन्नता की बात है कि मध्यप्रदेश में कमजोर वर्गों एवं महिलाओं का कल्याण करने की भावना के साथ अच्छे कदम उठाए जा रहे हैं। जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत भी सबसे पहले मध्यप्रदेश ने की है। उन्होंने मध्यप्रदेश की अपनी पिछली यात्रा के दौरान शहडोल में आयोजित हुए समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे वहां पर पेसा एक्ट का शुभारंभ करने का अवसर मिला था। यह एक्ट जनजातीय समुदाय के लोगों के हित में लागू किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह इसलिये भी विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि संस्थान ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। उन्होंने उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों व उनके परिजनों एवं प्राध्यापकों को बधाई व शुभकामनायें दीं। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि ट्रिपल आईटीएम ग्वालियर शिक्षा का एक ऐसा उत्कृष्ट केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है जहां उच्च स्तर की शिक्षा और अनुसंधान को निरंतर बढ़ावा मिलेगा। खुशी की बात है इस संस्था ने स्थानीय समुदायों की मदद के लिये विभिन्न गतिविधियां शुरू की हैं। संस्थान के विद्यार्थी व प्राध्यापक स्थानीय समुदायों के कमजोर परिवारों के बच्चों को सलाह और मार्गदर्शन दे रहे हैं। मुझे ऐसे बच्चों से मिलकर आज संतोष हुआ कि हमारे शिक्षण संस्थान बच्चों के बारे में सोच रहे हैं। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि आर्थिक लाभ महत्वपूर्ण होता है, लेकिन संतुष्टि उससे भी महत्वपूर्ण है। इसलिए जीवन में खुद से सवाल कर अपने को बेहतर बनाने के प्रयास निरंतर जारी रखें।

उन्होंने ग्वालियर शहर की सराहना करते हुए कहा कि यह शहर मध्यप्रदेश के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। यह शहर महलों, मंदिरों और किलों के लिए तो प्रसिद्ध है ही, भारतीय इतिहास में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने मराठाओं द्वारा किए गए संघर्ष और सिंधिया राजवंश द्वारा ग्वालियर के विकास में दिए गए योगदान का भी विशेष रूप से जिक्र किया। साथ ही कहा कि ग्वालियर अपनी समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। प्रसन्नता की बात है कि ग्वालियर जिले में स्थित संगीत सम्राट तानसेन के गांव को तानसेन नगर का नाम दिया गया है। उन्होंने कहा यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि शून्य भारत की देन है। भारत द्वारा प्राचीनकाल में विकसित शून्य की अवधारणा के स्पष्ट प्रमाण ग्वालियर दुर्ग स्थित चतुर्भुज मंदिर में देखे जा सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश