सिविल सेवक पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नवीन उपाय करें : राष्ट्रपति

 


नई दिल्ली, 18 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिविल सेवकों से कहा कि दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना कर रही है, इसलिए यह आवश्यक है कि वे पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नवीन उपाय करें।

एलबीएसएनएए में 125वें इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने वाले राज्य सिविल सेवा अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारियों को कोई भी विकासात्मक कार्य करते समय स्थिरता और समावेशिता को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। चूंकि दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना कर रही है, इसलिए यह आवश्यक है कि वे पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नवीन उपाय करें। समावेशन विकास का एक और प्रमुख पहलू है, जिसका अर्थ है भागीदारी को प्रोत्साहित करना और वंचित और हाशिए पर रहने वाले वर्गों सहित सभी की प्रगति सुनिश्चित करना।

राष्ट्रपति ने कहा कि वे उस स्थिति में हैं जहां वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। उनके द्वारा उठाया गया प्रत्येक कदम उनके आसपास के लोगों को विभाग या संगठन की प्रगति के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित कर सकता है। आईएएस अधिकारियों के रूप में, उन्हें प्रशासनिक कामकाज और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर एक अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य विकसित करने की आवश्यकता होती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इन दिनों, तकनीक-सक्षम और जागरूक नागरिक प्रदान की जा रही हर सेवा की डिलीवरी पर नज़र रखते हैं, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी। ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के दिन हैं और सेवा प्रदाता सक्रिय रूप से प्रश्नों का उत्तर देते हैं और ग्राहकों को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को डिजिटल प्रशासन की इस बदलती दुनिया को अपनाना होगा और उसके अनुसार अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा। उन्होंने कुशल और स्मार्ट प्रशासन के लिए एआई, ब्लॉकचेन और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह वह समय है, जब सहयोग समय की मांग है। कम समय अवधि में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संगठनात्मक, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग आवश्यक है।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल