एक महान आध्यात्मिक परंपरा को आगे बढ़ा रहा श्रीमद् राजचंद्र मिशन : राष्ट्रपति
- श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के दिव्य स्पंदनों से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंत्रमुग्ध
वलसाड, 13 फ़रवरी (हि.स.)। स्वतंत्रता के बाद दक्षिण गुजरात के धरमपुर क्षेत्र में भारत के राष्ट्रपति का पहला दौरा श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर में मंगलवार को हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यहां जमकर स्वागत किया गया। गुरुदेव राकेशजी का आमंत्रण स्वीकार कर आईं राष्ट्रपति की यह आध्यात्मिक अभ्यारण की मुलाक़ात एक ऐतिहासिक अवसर बन गया।
इस प्रसंग में राष्ट्रपति ने कहा कि “श्रीमद् राजचंद्र आश्रम में आकर वे एक महान आध्यात्मिक परंपरा के प्रति अपना हार्दिक सम्मान व्यक्त करती हैं। श्रीमद् राजचंद्रजी के पद चिन्ह पर चलते हुए गुरुदेव राकेशजी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है। उन्होंने अपना जीवन मानवजाति को शांति और समरसता की ओर ले जाने के लिए समर्पित किया है। उनके ये पुनीत कार्य मानवता कल्याण को बड़ी देन है। इस संस्था के विश्व में 200 से अधिक केंद्र में लोग जाकर ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को सार्थक करने के साथ साथ पूरे मानवता तक यह ज्ञान पहुंचाए ऐसी भावना करती हूं।”
श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर वर्षों से दक्षिण गुजरात के आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला विकास आदि क्षेत्रों में चले रहे कार्य के लिए राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने गुरुदेव राकेशजी की प्रेरणा से निर्मित विशाल, प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर का दौरा किया। आश्रम के “राज सभागृह” के भव्य ऑडिटोरियम में राष्ट्रपति पधारीं, जहां उपस्थित हज़ारों और ऑनलाइन देखने वाले लाखों भक्तों ने हर्षोल्लासपूर्वक राष्ट्रपति का स्वागत किया। श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के ट्रस्टी ने राष्ट्रपति का हार और शाल से सम्मान किया। स्मृति चिन्ह देते हुए गुरुदेव राकेशजी ने राष्ट्रपति को श्रीमद् राजचंद्रजी की प्रतिमाऔर राज सभागृह की सुन्दर प्रतिकृति भेंट दी। श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम की आदिवासी बहनों ने स्वयं बनाया हुआ विशिष्ट उपहार उनको भेट दिया गया और आदिवासी लोगों द्वारा प्रस्तुत एक सुन्दर डांगी नृत्य ने लोगों का मन मोह लिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने गुरुदेव राकेशजी के हिंदी सत्संग श्रेणी “ तभी ईश्वर प्रसन्न होंगे” और ध्यान श्रेणी “क्षमा” का विमोचन किया। राज्यपाल ने इस श्रेणी का प्रथम सेट का राष्टपति को उपहार दिया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि,”भारत आदि काल से आध्यात्मिक परंपरा का देश रहा है, उसमें श्रीमद् राजचंद्रजी एक ऐसा व्यक्तित्व है जो आनेवाली पीढियों को सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। गुरुदेव राकेशजी श्रीमद्जी की परंपरा को, उन सार्वभौमिक जीवन मूल्यों को, जो धरती पर सुख, शांति, आनंद का वातावरण पैदा करने में समर्थ है, उन्ही विचारों को जनमानस में फ़ैलाने का कार्य कर रहे हैं। इसके लिए में उनको नमन करता हूं। इस आदिवासी क्षेत्र में जो लोग वंचित, शोषित, पीड़ित है उनको भी सब सुविधाएं मिले जो हमें मिल रही है इस सोच के साथ कार्य कर रहे है, इस लिए में गुरुदेव राकेशजी को बधाई देता हूं।”
श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के वाइस प्रेसीडन्ट आत्मार्पित नेमीजी ने इस अवसर पर राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए कहा कि हम अपने आप को गुरुदेव राकेशजी के भक्त होने के लिए बहुत भाग्यशाली मानते हैं। हम आध्यात्मिकता के प्रतीक आपको राष्ट्रपति के रूप में पाकर बहुत खुशनसीब हैं और नैतिकता, मानवता और अध्यात्म का मार्ग चुनने वाले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व पाकर सौभाग्यशाली हुए है।''
श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के आंगन में मनाए गए यह गौरवपूर्ण प्रसंग में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केबिनेट मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर, राज्य मंत्री जगदीश पंचाल और आदिजाती विकास विभाग के मुख्य सचिव डॉ. एस.मुरली कृष्णा की मौजूदगी रही।
हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद/प्रभात