किसान आंदोलन कुछ नेताओं के उकसावे का आंदोलन : शान्ता कुमार

 


शिमला, 23 फरवरी (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि आज का किसान आन्दोलन पूरे देश के किसानों का आन्दोलन नहीं है। यह सिर्फ राजनीतिक नेताओं से उकसाया हुआ आन्दोलन है। सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि किसानों को बड़े आढ़तियों और बिचौलियों से मुक्त करवाया जाए और समय के साथ किसान सम्मान निधि सहायता को बढ़ाया जाए।

शान्ता कुमार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि 2015 में नरेन्द्र मोदी ने मेरी अध्यक्षता में खाद्य निगम सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी। उन्होंने कहा कि विषय का पूरा अध्ययन करने के बाद इस तथ्य पर सारी कमेटी को बड़ा आश्चर्य हुआ था कि एमएसपी का लाभ केवल 6 प्रतिशत किसान उठाते हैं। 94 प्रतिशत किसानों को एमएसपी पर सरकारी खरीद का कोई लाभ नही होता। थोड़ी उपज वाले छोटे किसान अपनी उपज स्थानीय क्रेताओं को कम भाव पर बेच देते हैं। इतना ही नहीं, यह तथ्य भी सामने आया कि 6 प्रतिशत बड़े किसान आस-पास के छोटे किसानों से कम भाव पर अनाज लेकर अधिक भाव पर सरकार को बेचते हैं। यह भी तथ्य सामने आया कि सरकारी खरीद केवल धान और गेहूं की ही अधिक होती है। सब फसलों की नहीं होती।

शान्ता कुमार ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर किसानों का आन्दोलन चल रहा है। देश को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह आन्दोलन केवल भारत के दो या तीन प्रदेशों के उन 6 प्रतिशत किसानों का है जो एमएसपी का लाभ उठाते हैं बाकी देश के 94 प्रतिशत किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जिस एमएसपी का इतना अधिक शोर मचाया जा रहा है, उसका का लाभ केवल छह प्रतिशत किसानों को होता है। इसी जानकारी के कारण हमारी कमेटी ने सबसे बड़ा सुझाव यह दिया था कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ विशेष करना चाहिए। कमेटी ने बड़े जोर से कहा था कि खेती लाभ का व्यवसाय नही है। खेत पर अधिकतर वहीं काम करता है जिसे कोई और अच्छी नौकरी नही मिलती परन्तु खेती और उपज के बिना कोई देश चल नही सकता। इसलिए किसान को खेत पर लगाये रखने के लिए दुनिया के लगभग सभी देशों में किसानों को वार्षिकी आय सहायता दी जाती है। कमेटी ने यह भी कहा था कि अमेरिका जैसे देश में भी किसानों को विशेष आय सहायता लाखों रुपये दी जाती है।

शान्ता कुमार ने कहा कि कमेटी की सबसे बड़ी सिफारिश यह थी कि कृषि के महत्व को देखते हुए किसानों को सीधे आय सहायता दी जानी चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि सरकार ने इस कमेटी की सिफारिश को स्वीकार किया था और उसके बाद भारत में किसान सम्मान निधि देना प्रारम्भ किया था। भारत के 12 करोड़ किसानों को 6 हजार करोड़ प्रति वर्ष के हिसाब से आय सहायता दी जाती है। इस समय तक 3 लाख करोड़ रुपये किसानों को दिया जा चुका है।

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