अमित शाह कल पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे

 






नई दिल्ली, 09 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारितामंत्री अमित शाह कल (रविवार) पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। गृह मंत्रालय ने आज यह जानकारी दी।

मंत्रालय के अनुसार क्षेत्रीय परिषद में बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड राज्य शामिल हैं। यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन अंतर राज्य परिषद सचिवालय के तत्वावधान में बिहार सरकार के सहयोग से आयोजित की जा रही है। इस बैठक में सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ प्रत्येक राज्य से दो वरिष्ठ मंत्री हिस्सा लेंगे। राज्य सरकारों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी व केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में हिस्सा लेंगे।

मंत्रालय के अनुसार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15-22 के तहत वर्ष 1957 में पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केन्द्रीय गृह मंत्री इन पांचों क्षेत्रीय परिषदों में प्रत्येक के अध्यक्ष हैं। क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री/उप राज्यपाल सदस्य हैं। इनमें से एक मुख्यमंत्री हर साल बारी-बारी से उपाध्यक्ष होते हैं। राज्यपाल की ओर से प्रत्येक राज्य से दो और मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है।

पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष हैं। राज्यों की ओर से प्रस्तावित मुद्दों को सर्वप्रथम संबन्धित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। जिन मुद्दों का आपसी सहमति से समाधान नहीं निकल पाता है उन्हें क्षेत्रीय परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय परिषदों की प्रत्येक बैठक में राष्ट्रीय महत्व के अनेक मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इसके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का कार्यान्वयन,प्रत्येक गांव में पांच कि.मी. के भीतर बैंकों/इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक शाखाओं की सुविधा,देश में दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का निर्माण, पोषण अभियान के माध्यम से बच्चों में कुपोषण दूर करना, स्कूली बच्चों की ड्रॉप आउट दर कम करना, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी व राष्ट्रीय स्तर के सामान्य हित के अन्य मुद्दें शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष/मुकुंद