रूसी मिसाइलों को खराब होते देख भारतीय वैज्ञानिकों ने​ नया हथियार बनाया

 

- समर मिसाइल सिस्टम का पहला वर्जन पहले ही चीन सीमा पर लद्दाख में है तैनात

- एयर डिफेंस सिस्टम​ 'समर-2' का जल्द ही परीक्षण करने की तैयारी में वायु सेना

नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)।​ रूस से एक जमाने में खरीदी गईं मिसाइलों को खराब होते देख भारतीय वैज्ञानिकों ने​ नया हथियार बना दिया​ है।​ ​इसी साल फरवरी में भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक पोखरण फायरिंग रेंज (राजस्थान) में युद्धाभ्यास ​'वायु शक्ति​'​ में सतह से हवा में मार करने वाली​ मिसाइल की मारक क्षमता का प्रदर्शन किया था।​ अब भारतीय वायु सेना हवा से हवा में मार करने वाली इन मिसाइलों को नए एयर डिफेंस सिस्टम​ 'समर-2' के साथ लैस करके जल्द ही परीक्षण करने की तैयारी में है।

दरअसल, काफी समय पहले रूस से खरीदी गईं हवा से हवा में मार करने वाली आर-73 और आर-27 मिसाइलों की 'शेल्फ लाइफ' खत्म हो रही थी। वायु सेना के खजाने में बेकार हो रही इन मिसाइलों की संख्या हजारों में है, इसलिए करोड़ों रुपये बर्बाद होते देख वायु सेना ​की रखरखाव कमान ने इनकी जिंदगी बदलने का फैसला लिया। वायु सेना के 7 बेस रिपेयर डिपो तुगलकाबाद (बीआरडी) और 11 बेस रिपेयर डिपो ओझर ने निजी क्षेत्र की दो भारतीय​ कंपनियों​ सिमरन फ्लोटेक इंडस्ट्रीज और यामाजुकी डेन्की के साथ मिलकर एक प्रणाली ​विकसित की।​ भारतीय वायु सेना​ के लिए बनाई गई छोटी दूरी की त्वरित प्रतिक्रिया वाली इस प्रणाली ​को सरफेस टू एयर मिसाइल फॉर एश्योर्ड रीटैलिएशन ​(एसएएमएआर) यानी 'समर' नाम दिया गया।​

इस तरह वायु सेना की हवा से हवा में मार करने वाली रूसी मिसाइलों आर-73 और आर-27 को सेना के लिए जमीन से हवा में मारक क्षमता के लायक बना दिया गया। बदलाव के बाद मिसाइल का वजन 105 किलो, लंबाई 9.7 फीट, व्यास 6.5 इंच हो गया और इसमें 7.4 किलो का वॉरहेड लग सकता है। इन्हें समर मिसाइल सिस्टम के साथ ​पिछले साल दिसंबर​ में ही सेना में शामिल ​करके चीन सीमा के पास लद्दाख में तैनात ​किया गया है। ​इसी साल फरवरी में भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक पोखरण फायरिंग रेंज (राजस्थान) मेंयुद्धाभ्यास ​'वायु शक्ति​'​ के दौरान सेना ने इसकी मारक क्षमता का प्रदर्शन किया था।

भारतीय सेना के लिए समर मिसाइल ट्रक से लॉन्च की जाती है, जो 2982 किमी.प्रति घंटे की रफ़्तार से किसी भी हवाई टारगेट को हिट कर सकती है। इस मिसाइल सिस्टम का संचालन वायुसेना की बीआरडी यूनिट करती है। ये मिसाइलें किसी भी तरह के हवाई टारगेट यानी हेलीकॉप्टर और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकती हैं। इसके लॉन्चर पर दो मिसाइलों को लगाने की व्यवस्था है। इस मिसाइल की रेंज 12 से 40 किमी. है। सतह से हवा में मार करने वाली हथियार प्रणाली 'समर आकाश' ने पिछले परीक्षण के दौरान रेंज के भीतर निर्धारित किये गए लक्ष्य पर निशाना लगाकर अपनी उपयोगिता साबित की है।

भारतीय वैज्ञानिकों ने अब नया एयर डिफेंस सिस्टम ईजाद किया है, जिसे समर-2 नाम दिया गया है। अब वायु सेना इस नए सिस्टम का जल्द ही परीक्षण करने की तैयारी में है। इसमें लगने वाली मिसाइल का निशाना चूकता नहीं है। अगर इसे पाकिस्तान या चीन सीमा पर तैनात किया जाए तो दुश्मन की मिसाइल को हवा में 30 किलोमीटर दूर ही खत्म करके देश की सीमा में आने ही नहीं देगी। समर-2 में लगने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल 253 किलो वजन की 13.4 फीट लंबी है। इसका व्यास 9.1 इंच है और इसमें पंखें लगे होते हैं, जिनका विंगस्पैन 30.4 इंच है। इसमें 39 किलो का वॉरहेड लगा सकते हैं। इन मिसाइलों को दागने वाले ट्रक भी अलग-अलग हैं। समर-1 के लिए अशोक लीलैंड स्टैलियन 4x4 ट्रक लगता है, जबकि समर-2 मिसाइलों को दागने के लिए बीईएमएल टाट्रा टी815 8x8 ट्रक लगता है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम