रवींद्रनाथ ठाकुर ने प्रकृति के बहाने परम सत्ता को विश्लेषित कियाः प्रयाग शुक्ल
नई दिल्ली, 07 मई (हि.स.)। साहित्य अकादमी ने रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती पर मंगलवार को रवींद्रनाथ ठाकुर : प्रकृति, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विषय पर साहित्य मंच कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रख्यात हिंदी कवि एवं लेखक प्रयाग शुक्ल ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर ने प्रकृति के बहाने पूरी परम सत्ता को विश्लेषित किया है। उन्होंने केवल कविताओं में ही नहीं बल्कि अपने उपन्यासों, नाटकों और चित्रकला आदि में भी प्रकृति के अनेक रूप उभारे हैं। आज हम प्रकृति के बिना असहज महसूस कर रहे हैं।
कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी के मुख्यालय रवींद्र भवन के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात अंग्रेजी लेखिका मालाश्री लाल ने की। संस्कृत के साहित्यकार अजय कुमार मिश्र और प्रख्यात उर्दू लेखक शहज़ाद अंजुम ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। अजय कुमार मिश्र ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर स्वच्छंदतावाद को भारतीय संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं और मानव के साथ प्रकृति के बहुआयामी संबंधों को चित्रित करते हैं। प्रकृति के प्रति उनके अमूल्य योगदान को व्यापक रूप से समझने की जरूरत है।
शहज़ाद अंजुम ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में रवींद्रनाथ ठाकुर की 13 पुस्तकों के उर्दू अनुवाद के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर अपने विचार साझा किया। उन्होंने बताया कि प्रकृति के साथ रहते हुए उन्होंने अपने लेखन को अंजाम दिया, जिसका प्रभाव उनके लेखन पर स्पष्टता के साथ महसूस किया जा सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्ष मालाश्री लाल ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर ने केवल प्रकृति पर लिखा ही नहीं बल्कि उसे अपने जीवन में भी उतारा। शांतिनिकेतन और श्रीनिकेतन का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने इनकी परिकल्पना छात्रों को प्रकृति के नजदीक लाने के लिए ही की थी। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर का बीसवीं शताब्दी के सांस्कृतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव है। उनकी कविताओं ने उन्हें विश्वव्यापी पहचान दिलाई।
हिन्दुस्थान समाचार/पवन कुमार/दधिबल