साहित्योत्सव में भारतीय भाषाओं के लेखक हुए पुरस्कृत

 




-साहित्य सभी को जोड़ता है: प्रतिभा राय

-अपनी-अपनी भाषाओं के सेनापति हैं पुरस्कृत रचनाकार: माधव कौशिक

नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। साहित्य अकादेमी द्वारा मनाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव के दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों का पुरस्कृत होना था। कमानी सभागार में हुए साहित्य अकादेमी पुरस्कार अर्पण 2023 की मुख्यातिथि प्रख्यात ओड़िआ लेखिका प्रतिभा राय थी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य सभी को जोड़ता है। अन्य की तरह वह विभाजन की बात कभी नहीं करता, इसलिए लेखन हमेशा सार्वभौमिक होता है और विभिन्न बदलावों के दौर में भी अपनी चमक नहीं खोता। सारी भारतीय भाषाएं हमें ताकत प्रदान करती है और प्यार की भाषा बोलने के लिए तैयार भी करती है। उन्होंने भाषा के महत्त्व को संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि भाषा की उन्नति के बिना कोई भी संस्कृति लंबे समय तक रह नहीं सकती। उन्होंने बदलाव के इस दौर में साहित्य अकादेमी को दुनिया का सबसे बड़ा साहित्योत्सव करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह साहित्यिक पूंजी हमेशा राह दिखाती रहेगी।

पुरस्कार अर्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि आज पुरस्कृत सभी रचनाकार अपनी-अपनी भाषाओं के सेनापति हैं और वे केवल सृजन नहीं करते बल्कि संरक्षण भी करते हैं। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो भी खूबसूरती या कहीं इंसानियत नज़र आती है, उसके पीछे साहित्यकारों का ही सृजनात्मक परिश्रम है। आम आदमी के प्रवक्ता साहित्यकार को हमेशा अंगारों पर ही चलना पड़ता है। अपने स्वागत भाषण में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि लेखक ज्ञान की अनमोल संपत्ति हम तक पहुंचाकर हमें समृद्ध करते हैं।

आज के पुरस्कृत रचनाकार थे-

प्रणव ज्योति डेका (असमिया), स्वप्नमय चक्रवर्ती (बाग्ला), नन्देश्वर दैमारि (बोडो), विजय वर्मा (डोगरी), नीलम सरन गौड़ (अंग्रेज़ी), विनोद जोशी (गुजराती), संजीव (हिंदी), लक्ष्मीश तोल्पाडि (कन्नड), मंशूर बानिहाली (कश्मीरी), प्रकाश एस. पर्यंकार (कोंकणी), बासुकी नाथ झा (मैथिली), इ.वी. रामकृष्णन (मलयाळम्), सोरोकखाईबम गम्भिनी (मणिपुरी), कृष्णात तुकाराम खोत (मराठी), युद्धवीर राणा (नेपाली), आशुतोष परिड़ा (ओड़िआ), स्वर्णजीत सवी (पंजाबी), गजेसिंह राजपुरोहित (राजस्थानी), अरुण रञ्जन मिश्र (संस्कृत), तारासीन बास्के (संताली), विनोद आसुदानी (सिंधी), एन. राजशेखरन (तमिल), तल्लावाला पतंजलि शास्त्री (तेलुगु) और सादिका नवाब सहर (उर्दू)।

असमिया साहित्यकार स्वास्थ्य कारणों के चलते नहीं आ सके। उनकी जगह उनके पुत्र ने पुरस्कार ग्रहण किया। पुरस्कार समारोह के समापन पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि इस मंच पर आज भारतीय साहित्य का स्वाभिमान सौंदर्य और गरिमा एक साथ देखे जा सकते हैं। साहित्य अखंड होता है और आने वाले समाज के लिए मनुष्यता की राह बनाता है। पुरस्कार समारोह के बाद रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं का कस्तूरी शीर्षक से एक प्रस्तुति हुई, जिसकी परिकल्पना संदीप भुटोरिया ने की थी और रचना पद्म भूषण और ग्रेमी पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता पंडित विश्वमोहन भट्ट ने। नृत्य संरचना शिंजिनी कुलकर्णी द्वारा की गई थी और गायन अंकिता जोशी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

कल साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान के अंतर्गत प्रख्यात उर्दू लेखक एवं गीतकार गुलजार द्वारा सिनेमा और साहित्य विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रभात/आकाश