अपनी जरूरत पूरी करने के लिए मौजूदा इंसास राइफल को ही अपग्रेड करेगी सेना

 

- रूस-यूक्रेन संघर्ष का असर, अमेठी में शुरू नहीं हुआ एके-203 असॉल्ट राइफल का उत्पादन

- भारतीय सेना को तत्काल 2 लाख प्राथमिक 7.62×51 मिमी असॉल्ट राइफल की सख्त जरूरत

नई दिल्ली, 07 नवंबर (हि.स.)। रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के चलते उत्तर प्रदेश के अमेठी में एके-203 असॉल्ट राइफल का पूरी तरह उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। इसलिए भारतीय सेना ने 2 लाख प्राथमिक 7.62×51 मिमी असॉल्ट राइफल की सख्त जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी मौजूदा इंसास राइफल को अपग्रेड करने का फैसला लिया है। भारतीय सेना इसे कई युद्धाभ्यासों में शुरुआती परीक्षण के तौर पर भी इस्तेमाल कर रही है।

रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में एके-203 राइफलों का निर्माण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 03 मार्च, 2019 को इस योजना का औपचारिक उद्घाटन किया था। अमेठी के कोरवा आयुध कारखाने में 6.71 लाख 7.62 मिमी. कलाशनिकोव एके-203 असॉल्ट राइफल का उत्पादन किया जाना था लेकिन फिलहाल पहले बैच का ही उत्पादन किया गया है। इन राइफलों का अभी तक परीक्षण भी नहीं हुआ है, जिससे यह सेना को मिल सकें। इस बीच यूक्रेन के साथ 20 महीने से चल रहे युद्ध में रूस की व्यस्तता के कारण भारत में रूसी मूल की एके 203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन निर्धारित समय से पीछे चल रहा है। इसलिए सेना ने नई राइफल की प्रतीक्षा करने के बजाय अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी मौजूदा इंसास राइफल को अपग्रेड करने का फैसला लिया है।

भारत के स्टार एयरोस्पेस ने इंसास राइफलों को अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया है। इन बंदूकों का अपग्रेडेड वर्जन पहले से ही अर्धसैनिक और राज्य पुलिस के साथ सेवा में है। साथ ही भारतीय सेना भी कई युद्धाभ्यासों में शुरुआती परीक्षण के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। इन बंदूकों में बट स्टॉक, पिस्टल ग्रिप, हैंड गार्ड, स्लिंग, माउंटिंग ऑप्टिकल साइट्स और लोअर पिकाटिननी रेल के लिए अटैचमेंट शामिल करके सेना के मुताबिक अपग्रेड किया जाना है। इंसास राइफलों को ही अपग्रेड करने से नई बंदूक खरीदने का खर्च बचेगा और साथ ही किसी भी तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता भी नहीं होगी। इसलिए सेना ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसास राइफलों को ही अपग्रेड करने का फैसला लिया है।

दरअसल, भारतीय सशस्त्र बलों में राइफलों की कमी को पूरा करने के लिए फरवरी, 2019 में अमेरिका निर्मित 7.62 x 51 मिमी कैलिबर की 72,400 एसआईजी सॉयर 716 राइफलें खरीदी गईं थीं। इसमें से सेना को 66,400, भारतीय वायु सेना को 4,000 और नौसेना को 2,000 राइफलें दी गईं थीं। इन असॉल्ट राइफलों में कश्मीर और पूर्वोत्तर में नियंत्रण रेखा के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में उपयोग के दौरान कई 'गड़बड़ियां' सामने आई हैं। भारतीय सेनाओं के पास मौजूदा समय में लगभग 20 लाख हथियार उपयोग में हैं। भारतीय सेना विभिन्न प्रकार की असॉल्ट राइफलों का उपयोग करती है, इनमें इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम), एके-47, सिग सॉयर 716 और टावर बंदूकें हैं। छोटे हथियारों की सूची में लगभग 10 लाख इंसास राइफलें बड़ा हिस्सा हैं।

रक्षा अधिकारियों का कहना है कि देश की पूर्वी और उत्तरी सीमाओं पर उभरते क्षेत्रीय खतरों और अनिश्चित आंतरिक सुरक्षा स्थिति के दौरान मौजूदा इंसास राइफल को अपग्रेड करना परिचालन के लिहाज से व्यावहारिक और लागत प्रभावी समाधान है। इसके अलावा भारतीय सैनिकों इंसास राइफल चलाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसलिए सैन्य योजनाकारों ने नए हथियारों की प्रतीक्षा करने के बजाय इंसास राइफलों की अपनी मौजूदा सूची को अपग्रेड करने की योजना पर काम किया है। रक्षा अधिकारियों का मानना है कि सेना में प्रशिक्षण की किसी और आवश्यकता के बिना हथियार की मारक क्षमता उसके वजन में न्यूनतम बदलाव के साथ बरकरार रहनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल