सोनिया गांधी की आशा और आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में केंद्र की हिस्सेदारी दोगुनी करने की मांग

 


नई दिल्ली, 16 दिसंबर (हि.स.)। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने मंगलवार को राज्यसभा में महिलाओं की अग्रिम पंक्ति की कर्मियों की बदहाली का मुद्दा उठाते हुए आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों के मानदेय में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी दोगुनी करने तथा आईसीडीएस में लगभग तीन लाख रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग की।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सामुदायिक संसाधन व्यक्ति सार्वजनिक सेवा वितरण में अहम भूमिका निभा रहे हैं, इसके बावजूद वे अत्यधिक कार्यभार और बेहद कम पारिश्रमिक की समस्या से जूझ रहे हैं। देशभर में आशा कार्यकर्ता टीकाकरण, जन-जागरूकता, मातृ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण जैसे महत्वपूर्ण कार्य करती हैं, फिर भी उन्हें स्वयंसेवक का दर्जा प्राप्त है और सीमित मानदेय व सामाजिक सुरक्षा मिलती है। इसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को केंद्र सरकार की ओर से क्रमशः मात्र 4,500 रुपये और 2,250 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि कम वेतन के अलावा आईसीडीएस में विभिन्न स्तरों पर लगभग तीन लाख पद रिक्त हैं, जिसके चलते लाखों बच्चों और माताओं को आवश्यक सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि साल 2011 के बाद जनगणना आंकड़े अपडेट न होने के कारण पदों की संख्या जनसंख्या मानकों से भी कम पड़ रही है। उन्होंने सरकार से राज्यों के साथ मिलकर सभी रिक्त पदों को भरने, समय पर भुगतान सुनिश्चित करने, केंद्र की हिस्सेदारी दोगुनी करने, 2,500 से अधिक आबादी वाले गांवों में अतिरिक्त आशा कार्यकर्ता नियुक्त करने और प्रारंभिक बाल शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की संख्या दोगुनी करने की अपील की।

-----

हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार