दिग्विजयी, विश्व का नेतृत्व करने वाला भारत बनाने का संकल्प लें: दीपक विस्पुते

 






-विद्या भारती के प्रांतीय समिति समागम 'संकल्प दृष्टि 2024 का समापन

भोपाल, 14 जनवरी (हि.स.)। हमें एक दिग्विजयी भारत, विश्व का नेतृत्व करने वाला सशक्त भारत बनाना है। हम इस दिशा में चल पड़े हैं। एक पराक्रमी भारत बनाने के लिए हम अपने आप को तिरोहित कर दें, इस बात का संकल्प लेकर हम अपने-अपने क्षेत्रों में जाएं। यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने रविवार को विद्याभारती के समिति कार्यकर्ताओं से किया। वे शारदा विहार में आयोजित तीन दिवसीय प्रांतीय समिति समागम संकल्प दृष्टि 2024 के समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।

सरस्वती शिशु मंदिर शारदा विहार परिसर के नैमिषारण्य सभागृह में आयोजित समापन सत्र की अध्यक्षता पूर्व राज्यपाल एवं विद्याभारती मध्यभारत प्रांत के प्रथम अध्यक्ष रहे कप्तान सिंह सोलंकी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के सह संगठन मंत्री यतीन्द्र शर्मा, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर रवीन्द्र कान्हेरे, क्षेत्र संगठन मंत्री भालचंद रावले, प्रांत संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी, प्रांत अध्यक्ष मोहनलाल गुप्त उपस्थित थे।

दीपक विस्पुते ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें समय-समय पर अपने कार्य की समीक्षा करते रहना चाहिए। हम केवल शैक्षिक संस्थान नहीं है। हम अपने ध्येय के साथ कार्य कर वैचारिक क्रांति लाने वाले संगठन है। अनगिनत समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ हमनें एक उदाप्त लक्ष्य का संकल्प लिया है। ऐसे कितने ही कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने विचार के लिये कार्य करने में जीवन को तिरोहित कर दिया।

उन्होंने कहा कि आज अपना भारत एक विशिष्ट स्थिति से गुजर रहा है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर यह भारत का अमृत काल चल रहा है। सरस्वती शिशु मंदिर योजना के भी 75 वर्ष आगामी वर्षो में पूरे होने जा रहे है। ऐसे में हमें अपने कार्य का सिंहावलोकन करना चाहिए। हम अपनी 75 वर्ष की पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं आगे हमें अपने कार्य को और कितना आगे ले जाना है। इसकी योजना करके कार्य विस्तार करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि इस देश के लिए लड़ने और मृत्यु प्राप्त करने वाले ऐसे सब महान लोगों का हमनें स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर स्थान-स्थान पर स्मरण किया है। आगे हमें कैसा भारत बनाना है इसका भी संकल्प लिया है। 1947 का भारत एक गरीब लाचार और बेरोजगारी से जूझ रहा भारत था। दुनिया में हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं था, जब पाकिस्तान की सेना ने कब आक्रमण किया, तब संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारी सुनवाई करने वाला कोई नहीं था। अन्न तक हमकों बाहर से लेना पड़ता था। एक हजार वर्ष के आक्रमणों से देश के वैभवशाली स्वरूप को क्षति पहुंची थी। जब तक हम ताकतवर थे तब तक हमने शक्ति के साथ आक्रमणकारियों से संघर्ष किये लेकिन जब लड़ते-लड़ते थक गये, तब भी हिन्दू समाज में रक्षात्मक लड़ाई लड़ी। हालांकि इससे कई कुरीतियां समाज में आ गई। लेकिन भारत खड़ा हो गया है। देश में विकास की गति पकड़ी। 75 वर्षो में भारत एक मजबूत राष्ट्र की स्थिति में खड़ा हो गया। हमारे देश के एक सशक्त राष्ट्र की प्रतिमा बनी।

उन्होंने कहा कि विश्व के देशों को यदि कोई मार्गदर्शन दे सकता है तो वह भारत है। भारत भी कभी गरीब देश हुआ करता था वह पांचवी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है और शीघ्र ही हम तीसरे स्थान पर पहुँच जायेंगे। भारत की सैन्य शक्ति दुनिया में तीसरी बड़ी शक्ति है। देश की सीमायें सुरक्षित है। कोविड काल में जब पूरी दुनिया त्रस्त थी तब भारत में छोटे-छोटे देशों को दवाईयॉं, अन्न और अन्य सहायता पहुँचाई। भारत का युवा और बेटियॉं आगे बढ़ी और आज विश्वभर में हमारी पहचान है। सामाजिक क्रांति के माध्यम से समाज अपनी विषमताओं को दूर कर रहा है।

विस्पुते ने कहा कि लोकतंत्र को हमने जिस रूप में स्वीकार किया है वह अमेरिका में भी नहीं है। भारत विश्व की महाशक्ति और विश्व का नेतृत्व करने वाला भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। किसी प्रकार हमारे संगठनों का क्रमिक विकास भी हुआ है। इसकी मूल में हिन्दुत्व और भारतीयता का विचार है जो सर्वे भवन्तु सुखिन: की बात करता है। हिन्दुत्व एवं राष्ट्रभक्ति अपनी संगठनों का मूल आधार है। इससे हमने कभी समझौता नहीं किया। अपने कार्य एवं ध्येय के प्रति निष्ठा के कारण आज हम इस स्थिति में पहुँचे है। हमारी विचारधारा कभी विभाजित नहीं हुई। हर संगठन में अपने नवीन आयाम स्थापित किए क्योंकि सबके मन में देश था और हिन्दुत्व व देशभक्ति का सूत्र था। आज समाज में अपनी मान्यता भी खो गई है।

विद्या भारती व्यक्ति निर्माण में विश्वास करती है

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कप्तान सिंह सौलंकी ने कहा कि लोग मुझे कई रूपों में जानते है। लेकिन मेरी मूल वृत्ति एक शिक्षक की रही है। विद्या भारती के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना है। विद्या भारती किसी प्रकार के संघर्ष, आंदोलन में विश्वास नहीं करता। वह व्यक्ति निर्माण में विश्वास करता है। अब भारत ने करवट ले ली है। सरस्वती शिशु मंदिर ने जो कार्य किया है वह देश में दिखाई दे रहा है। स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 में जब भारत विश्व गुरू बनेगा तो उसमें सरस्वती शिशु मंदिर की भूमिका भी होगी। एक राष्ट्र, एक जन का जो सपना है उसे पूरा करने में सरस्वती शिशु मंदिर का विशेष योगदान है।

समापन समारोह में भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला, राज्यमंत्री कृष्णा गौर उपस्थित थी।

पुस्तक एवं पत्रिका का हुआ विमोचन

इस अवसर पर लेखक शिरोमणि दुबे भारतीय शिक्षा की सनातन दृष्टि पुस्तक का विमोचन किया गया। विद्या भारती की वार्षिक पत्रिका प्रज्ञा संदेश का भी विमोचन इस अवसर पर अतिथियों द्वारा किया गया। संकल्प दृष्टि 2024 प्रांतीय समिति समागम का प्रतिवेदन डॉ. राम भावसार ने प्रस्तुत किया इस अवसर पर एकल गीत उपासना राजपूत द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस प्रांतीय समिति समागम में शारदा विहार आवासीय विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा भव्य रंगमंचीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया। विद्या भारती के आधारभूत विषयों पर आधारित इस कार्यक्रम में रोप स्कीपिंग, पाइपर बैण्ड, मलखम्ब, योगासन एवं स्वच्छता अभियान के ऊपर लघुनाटिका और नृत्य प्रस्तुत किये गये।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश