राज्यसभा निश्चित कल के लिए स्थगित

 




नई दिल्ली, 21 दिसंबर (हि.स.)। राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को आपराधिक न्याय प्रक्रिया से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्थगन की घोषणा करते हुए कहा कि एक राजनीतिक रणनीति के रूप में व्यवधानों और गड़बड़ी को हथियार बनाना किसी भी अन्य राजनीतिक विचारों से ऊपर लोगों के हित को ध्यान में रखने के हमारे संवैधानिक दायित्व से मेल नहीं खाता है। उन्हें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि टाले जा सकने वाले व्यवधानों के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हो गए, जिससे हमारी कुल उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जो अंततः 79 प्रतिशत रही।

उन्होंने बताया कि इस दौरान जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण पथप्रदर्शक विधेयक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, डाकघर विधेयक, दूरसंचार विधेयक और तीन विधेयक अर्थात् भारतीय साक्ष्य विधेयक, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता सहित कुल 17 विधेयक पारित किए गए। सत्र। इन तीन विधेयकों ने आपराधिक न्यायशास्त्र की औपनिवेशिक विरासत को हटा दिया जो इस देश के नागरिकों के लिए हानिकारक थी और विदेशी शासकों का पक्ष लेती थी।

उन्होंने कहा कि अब पिछली बार की तरह हमने यह सुनिश्चित किया है कि हमारी सम्मानित महिला सदस्य उप सभापति के पैनल और सदन की मेज के पचास प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करना जारी रखेंगी।

उन्होंने बताया कि हम 14 बैठकों के दौरान 65 घंटों तक कामकाज करने में सक्षम रहे और सत्ता पक्ष और विपक्ष के 2300 से अधिक प्रश्नों को संबोधित किया। इस दौरान 4300 से अधिक पत्र सभा पटल पर रखे गये।

हिन्दुस्थान समाचार / अनूप

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