महासागरों के पार बेहद जरूरी भाईचारा बंधन बनाने का प्रयास है 'मिलन' अभ्यास : राजनाथ
- मित्र देशों के साथ सार्थक बातचीत से सकारात्मक परिणामों की उम्मीद : नौसेना प्रमुख
- रक्षा मंत्री ने लॉन्च किया निसार संचार टर्मिनल, मिलन गांव का भी उद्घाटन
विशाखापत्तनम, 21 फरवरी (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को बहुपक्षीय नौसैन्य अभ्यास मिलन 2024 का औपचारिक उद्घाटन करते हुए जोर दिया कि वैश्विक समुदाय को लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के इस युग में सामूहिक रूप से शांति की आकांक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति के लिए प्रयास करते समय, सामूहिक कल्याण के लिए हर खतरे का मुकाबला किया जाना चाहिए।
विशाखापत्तनम के सामुद्रिक सभागार में अभ्यास 'मिलन' के उद्घाटन समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा संकल्प हिंद महासागर क्षेत्र में पहला पसंदीदा सुरक्षा भागीदार बनना और व्यापक हिंद-प्रशांत की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए है। उन्होंने कहा कि भारत सार्थक साझेदारी बनाने में विश्व मित्र की भूमिका निभाना जारी रखेगा। रक्षा मंत्री का विचार था कि सकारात्मक शांति की अवधारणा प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष की अनुपस्थिति से अलग है और इसमें सुरक्षा, न्याय और सहयोग की व्यापक धारणाएं शामिल हैं। सकारात्मक शांति सभी के सहयोग से और सभी की साझा शांति है। कोई भारतीय शांति या ऑस्ट्रेलियाई शांति या जापानी शांति नहीं है, बल्कि यह साझा वैश्विक शांति है। इस भावना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया था जब उन्होंने कहा था कि 'यह युद्ध का युग नहीं है लेकिन यह बातचीत और कूटनीति में से एक है।
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बल युद्ध भी करते हैं और शांति और अच्छी व्यवस्था भी बनाए रखते हैं, यानी दोहरी भूमिका निभाते हैं।
दरअसल, नौसेनाओं और सेनाओं की स्थापना और रखरखाव सैन्य विजय के माध्यम से राजनीतिक शक्ति का विस्तार करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था। हमारा ऐतिहासिक अनुभव हमें बताता है कि सशस्त्र बल भी शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे संघर्ष निवारण, शांति स्थापना जैसी अवधारणाओं और प्रथाओं और विशेष रूप से आपदाओं के दौरान विभिन्न मानवीय सहायता प्रयासों में देखा जाता है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बलों के विकास में लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था के ढांचे के भीतर मित्र देशों के बीच मित्रता, समझ, सहयोग और सैन्य अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभरे हैं। उन्होंने मिलन-2024 को महासागरों और पहाड़ों के पार बेहद जरूरी भाईचारा बंधन बनाने का प्रयास करार दिया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि भारत सरकार के क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (एसएजीएआर) के दृष्टिकोण पर आधारित मिलन 'सामंजस्य, सौहार्द और सहयोग' की अविश्वसनीय भावना को समाहित और पुनर्जीवित करता है। उन्होंने कहा कि 1995 में पांच आईओआर नौसेनाओं से लेकर आज इंडो-पैसिफिक में 50 नौसेनाओं तक मिलन समुद्री क्षेत्र में ऐसे सामूहिक और सहकारी प्रयासों के बढ़ते कद और बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि अगले दो दिनों में होने वाला अंतरराष्ट्रीय समुद्री सेमिनार वरिष्ठ कमांडरों को महत्वपूर्ण समुद्री चुनौतियों और अवसरों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारी यहां प्रशिक्षण सिमुलेटरों में अपने नौकायन, पनडुब्बी बचाव और क्षति नियंत्रण कौशल को निखार रहे हैं।
एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि 24 फरवरी से शुरू होने वाले समुद्री चरण में भारतीय और विदेशी युद्धपोत एक साथ नौकायन करेंगे और सामूहिक सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए और कौशल को एक साथ निखारते हुए परिचालन अभ्यास की एक श्रृंखला में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि ये केवल नौसैनिक अभ्यास नहीं हैं, बल्कि समुद्री राष्ट्रों के रूप में हम जो सामूहिक विशेषज्ञता और ताकत सामने लाते हैं उसका एक प्रमाण है।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने निसार संचार टर्मिनल भी लॉन्च किया। सेनाओं के बीच संचार तंत्र महत्वपूर्ण कड़ी है, इसलिए भारतीय नौसेना ने सभी मित्रवत साझेदार नौसेनाओं को जोड़ने के लिए निसार एप्लिकेशन के साथ मित्र टर्मिनल विकसित किए हैं।
बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास मिलन-2024 में भाग लेने वाले देशों की संस्कृति, परंपरा और व्यंजनों का मिलन गांव का भी रक्षा मंत्री ने उद्घाटन किया। यहां विभिन्न प्रकार के भारतीय व्यंजनों के साथ-साथ इंडोनेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश और वियतनाम के व्यंजनों ने प्रचारित संस्कृतियों की जीवंतता को दर्शाया गया। दुनिया भर से हथकरघा, हस्तशिल्प, रत्न, क्रिस्टल, कलाकृतियां आगंतुकों के लिए यादगार बन गए। कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नृत्यों ने भी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मिलन गांव मित्रवत विदेशी देशों के कर्मियों, रक्षा कर्मियों और उनके परिवारों के लिए 23 फरवरी तक दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत/आकाश