राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किये

 


नई दिल्ली, 20 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2023 प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खनिज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सरकार राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा रिपॉजिटरी पोर्टल के माध्यम से भू-वैज्ञानिक डेटा के एकीकरण, खनिज संसाधनों की खोज और खनन में एआई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग जैसे कई कदम उठा रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये कदम हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को बेहतर ढंग से समझने और उसका उचित उपयोग करने में सक्षम बनाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। बड़े पैमाने पर स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के हमारे प्रयास इस लक्ष्य के अनुरूप हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरित परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे खनिजों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना से भारत को आत्मनिर्भर बनने और आर्थिक विकास और हरित परिवर्तन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति को कोलकाता में राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना पर खुशी हुई, जो भूस्खलन की आशंका वाले सभी राज्यों के लिए पूर्व चेतावनी बुलेटिन जारी करेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपनी प्रणालियों को इतना सटीक और विश्वसनीय बनाना होगा कि भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं से कम से कम नुकसान हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का भूवैज्ञानिक इतिहास इसकी चट्टानों, मैदानों, जीवाश्मों और समुद्री तलों में दर्ज है और हम इसे अपनी भूवैज्ञानिक विरासत कह सकते हैं। उन्होंने युवाओं से भू-पर्यटन और भू-विरासत स्थलों के महत्व को समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भू-पर्यटन लोगों को भूविज्ञान के क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने का माध्यम हो सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / दधिबल यादव