जनजातीय जीवनशैली जलवायु परिवर्तन का समाधान: राष्ट्रपति

 


नई दिल्ली, 10 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि जनजातीय समुदाय की जीवनशैली ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वैश्विक समस्या का समाधान प्रदान करती है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘आदि महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद कहा जनजातीय समुदायों से प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना सीखने की जरूरत पर जोर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहा है, तब जनजातीय समुदाय की जीवनशैली और भी अनुकरणीय हो जाती है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की अंधी दौड़ ने धरती मां और प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। अंधाधुंध विकास की होड़ में एक ऐसा वातावरण बना दिया गया, जिसमें यह सोच उत्पन्न हुई कि बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए प्रगति संभव ही नहीं है। हालांकि सच्चाई इसके विपरीत है। दुनिया भर में जनजातीय समुदाय सदियों से प्रकृति के साथ सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में रह रहे हैं। हमारे जनजातीय भाई-बहन अपने जीवन के हर पहलू में आसपास के परिवेश, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का ध्यान रखते रहे हैं। हमें उनकी जीवनशैली से प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से परिपूर्ण है। इस 'विविधता में एकता' का भाव हमेशा मौजूद रहा है। इस भावना का कारण हमारी एक-दूसरे की परंपराओं, वेश-भूषा, खान-पान और भाषा को जानने, समझने और अपनाने का उत्साह है। एक-दूसरे के प्रति सम्मान की यही सम्मान का भाव हमारी एकता के मूल में है। आदि महोत्सव में विभिन्न राज्यों की जनजातीय संस्कृति और विरासत का अनूठा संगम देखकर वह बहुत खुश हुईं। उन्होंने कहा कि यह देश के कोने-कोने के आदिवासी भाई-बहनों की जीवनशैली, संगीत, कला और खानपान से परिचित होने का अच्छा अवसर है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस महोत्सव के दौरान लोगों को आदिवासी समाज के जीवन के कई पहलुओं को जानने और समझने का अवसर मिलेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक युग की एक महत्वपूर्ण देन प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। यह ठीक नहीं है कि हमारा जनजातीय समुदाय आधुनिक विकास के लाभ से वंचित रहे। उनके योगदान ने देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भविष्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि हम प्रौद्योगिकी का उपयोग समाज के सभी लोगों, विशेषकर वंचित वर्गों के सतत विकास और सर्वांगीण विकास के लिए करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास पारंपरिक ज्ञान का अमूल्य भंडार है। यह ज्ञान दशकों से पारंपरिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होता रहा है। हालांकि अब कई पारंपरिक कौशल ख़त्म होते जा रहे हैं। यह ज्ञान परंपरा लुप्त होने के कगार पर है। जिस तरह कई वनस्पतियां और जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं, उसी तरह पारंपरिक ज्ञान भी हमारी सामूहिक स्मृति से गायब हो रहा है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि हम इस अमूल्य निधि को संचित करें और आज की आवश्यकता के अनुसार इसका उचित उपयोग भी करें। इस प्रयास में प्रौद्योगिकी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

राष्ट्रपति ने अनुसूचित जनजातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड (वीसीएफ-एसटी) के शुभारंभ की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि इससे एसटी समुदाय के लोगों के बीच उद्यमिता और स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आदिवासी समुदाय के युवाओं से आग्रह किया कि वे इस योजना का लाभ उठाकर नये उद्यम स्थापित करें और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।

भारत की जनजातीय विरासत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में ट्राइफेड द्वारा आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष यह महोत्सव 10 से 18 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल