क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी समेत 20 प्रतिभाशाली बच्चोें को राष्ट्रपति ने दिया बाल पुरस्कार

 


नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को वीर बाल दिवस के अवसर पर क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी सहित देश के 20 प्रतिभाशाली बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के उन बच्चों को दिया जाता है, जिन्होंने साहस, खेल, पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान एवं नवाचार, समाज सेवा, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान देकर देश का नाम रोशन किया है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेता बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यों से न केवल अपने परिवार बल्कि समाज और पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि आज का भारत अपने बच्चों की प्रतिभा, साहस और संवेदनशीलता के बल पर निरंतर आगे बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2022 से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसके पीछे इतिहास का एक अत्यंत प्रेरक अध्याय जुड़ा हुआ है। उन्होंने सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके चार साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि लगभग 320 वर्ष पूर्व सत्य और न्याय की रक्षा के लिए उन्होंने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। राष्ट्रपति ने विशेष रूप से नौ वर्ष के बाबा जोरावर सिंह और सात वर्ष के बाबा फतेह सिंह की वीरता का उल्लेख किया, जिन्हें जीवित दीवार में चिनवा दिया गया था। उन्होंने कहा कि उन महान वीर बालकों का बलिदान आज भी देश-विदेश में श्रद्धा और सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। वीर बाल दिवस न केवल शौर्य का स्मरण है, बल्कि यह देशप्रेम और राष्ट्र एकता का भी उत्सव है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जिस देश के बच्चे उच्च आदर्शों और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होते हैं, उस देश की मानवता और भविष्य दोनों सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह की जयंती का पावन अवसर भी है और इस अवसर पर उन्होंने देशवासियों की ओर से उन्हें सादर नमन किया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के माध्यम से बच्चों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि देश के अन्य बच्चे भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष सम्मानित सभी 20 बच्चों ने अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया है और वे अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पुरस्कार पाने वाले बच्चों में सबसे कम उम्र की वाका लक्ष्मी प्राज्ञिका बच्ची केवल सात वर्ष की है, जो यह दर्शाता है कि प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि ऐसे ही प्रतिभाशाली बच्चों के बल पर आज भारत को विश्व पटल पर उभरती शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने अजय राज और मोहम्मद सिदान पी जैसे बच्चों की सराहना की, जिन्होंने अपनी वीरता और सूझबूझ से दूसरों के जीवन की रक्षा की।

राष्ट्रपति ने भावुक होते हुए उन बच्चों का भी स्मरण किया, जिन्होंने दूसरों की जान बचाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने नौ साल की व्योमा प्रिया और 11 वर्षीय कमलेश कुमार का उल्लेख करते हुए कहा कि आज उनके माता-पिता ने यह पुरस्कार ग्रहण किया है। राष्ट्रपति ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों तक दूध, पानी और लस्सी पहुंचाने वाले 10 वर्षीय शवण सिंह की भी प्रशंसा की और कहा कि ऐसे उदाहरण समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी वीर और प्रतिभाशाली बच्चे आगे भी निरंतर अच्छे कार्य करते रहेंगे और उनकी उपलब्धियां अन्य बच्चों को भी प्रेरित करेंगी।

समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार