देश में अंगदान को लेकर जागरुकता फैलाने की जरूरत : राष्ट्रपति

 


नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पर्याप्त संख्या में ऑर्गन की अनुपलब्धता पर चिंता जताते हुए देश में अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत बताई है। राष्ट्रपति बुधवार को नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलेरीज साइंसेज (आईएलबीएस) के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “पर्याप्त संख्या में अंगों की अनुपलब्धता के कारण बहुत से मरीज लीवर, किडनी या किसी अन्य प्रत्यारोपण से वंचित रह जाते हैं। दुर्भाग्य से अंगदान से जुड़ी अनैतिक कृत्य भी समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। इन समस्याओं का समाधान करना एक जागरूक समाज की जिम्मेदारी है। हमारे देश में लोगों को अंगदान के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है।”

राष्ट्रपति ने कहा कि आईएलबीएस ने विश्व स्तरीय दक्षता और अखंडता के बल पर केवल 13 वर्षों की अवधि में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आईएलबीएस में 1000 से अधिक लीवर प्रत्यारोपण और लगभग 300 गुर्दे प्रत्यारोपण किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपेक्षाकृत कम खर्च पर विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके आईएलबीएस जैसे संस्थानों के बल पर एक अंतरराष्ट्रीय हेल्थकेयर हब के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि जीवन विज्ञान और आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के एकीकरण से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने आईएलबीएस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लर्निंग यूनिट की स्थापना को सामयिक पहल बताया। उन्होंने आईएलबीएस से इलाज के साथ-साथ शोध के क्षेत्र में भी काम जारी रखने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। कहा जा सकता है कि लिवर हमारे शरीर का सुरक्षा गार्ड है। हमारे देश में लिवर से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हैं और इनसे होने वाली बीमारियों की भारी संख्या चिंता का कारण है। उम्मीद है कि आईएलबीएस लीवर रोगों की रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

उन्होंने डॉक्टरों को अपना ख्याल रखने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने कहा कि लंबे समय तक ड्यूटी, लगातार आपातकालीन मामलों और रात्रि ड्यूटी जैसी चुनौतियों के बीच उन्हें पूरी सतर्कता और उत्साह के साथ लगातार मरीजों की सेवा करनी है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद वे सभी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और सतर्क रहें।

राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज डिग्री प्राप्त करने वाले 65 छात्रों में से 37 बेटियां हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/पवन