प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से विकसित भारत @2047- वॉयस ऑफ यूथ कार्यक्रम का किया शुभारम्भ
- राज्यपाल मंगुभाई पटेल स्थानीय कार्यक्रम में शामिल हुए
- विशेषज्ञों ने विकसित भारत के स्वरूप पर किया चिंतन
भोपाल, 10 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से विकसित भारत @ 2047- वॉयस ऑफ यूथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्यपाल मंगुभाई पटेल राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन नीति आयोग द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत @ 2047 के संकल्प और विजन को लेकर युवाओं को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए यही समय, सही समय है। हर व्यक्ति और संस्थान जो भी कार्य करता है, वह राष्ट्र के कार्य हैं- इसी भाव-भावना के साथ करें। उन्होंने कहा कि इंडिया आई से शुरू होता है। आई का मतलब मैं, अर्थात भारत को विकसित बनाने के लिए मैं क्या कर सकता हूँ। इस भाव के साथ कार्य करना होगा कि राष्ट्र के लिए कर्तव्यों का निष्ठा और ईमानदारी से पालन करें। प्रधानमंत्री ने सभी शैक्षणिक संस्थानों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों और देश के प्रत्येक नागरिक से आगे आकर अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने और स्वयं के उदाहरण से रोल मॉडल बनकर समाज को प्रेरित करने का अनुरोध किया।
स्थानीय कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा केसी गुप्ता, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डीपी आहूजा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के संचालक, संकाय सदस्य और विद्यार्थी गण उपस्थित थे। कार्यक्रम से प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने वर्चुअल माध्यम से सहभागिता की।
शुभारम्भ कार्यक्रम के बाद स्थानीय कार्यक्रम में इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थ्राइविंग एंड सस्टेनेबल इकोनॉमी और युवाओं की उपयोगिता- विकसित भारत @ 2047 विषयों पर छात्रों की सहभागिता के साथ विशेषज्ञों के पैनल डिस्कशंस आयोजित हुए।
प्रथम सत्र में इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पैनल डिस्कशन में सुनील कुमार, प्रोफेसर अजय सिंह, प्रोफेसर जी. दीक्षित, वर्द्धमान सोनी एवं प्राची अग्रवाल ने चर्चा के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकास की शक्ति और युवाओं के नेतृत्व को उसका आधार बताया है। उन्होंने पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक विषयों को सम्मिलित करने, तकनीकी संस्थाओं के विद्यार्थियों के कार्य अनुभव के लिए उद्योगों को वर्कशॉप के रूप में जोड़ने, उद्योगों की आवश्यकताओं और समस्याओं के समाधान का मंच शैक्षणिक संस्थाओं में उपलब्ध कराने के सुझाव दिए। चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के द्वारा चिकित्सा सेवाएं रोगी तक पहुँचाने की संभावनाओं पर चर्चा की गई। आधुनिक विज्ञान में शोध अनुसंधान के साथ भारतीय ज्ञान परंपराओं को सम्मिलित करने पर बल दिया है।
द्वितीय सत्र में थ्राइविंग एंड सस्टेनेबल इकोनॉमी विषय के पैनल डिस्कशन में अमरजीत खालसा, अनिरुद्ध चौहान, पुलकित शर्मा, प्रदीप करमवेलकर ने चर्चा के दौरान अधोसंरचना विकास की दिशा, रेलवे की कार्य क्षमताओं में वृद्धि, मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में प्रौद्योगिकी के लगातार बदलाव, एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर की अहमियत और उद्योग आधारित कौशल विकास के प्रयासों को गतिमान करने पर बल दिया।
तृतीय सत्र में युवाओं की उपयोगिता- विकसित भारत @ 2047 विषय के पैनल डिस्कशन में आशुतोष सिंह, सिद्धार्थ अग्रवाल, वीरेंद्र व्यास ने चर्चा में युवाओं में कर्तव्यबोध, अपनी ज्ञान परंपरा और धरोहर पर गर्व का भाव होने की आवश्यकता बताई। विकसित भारत केवल संपन्नता नहीं अपितु उन्नत मस्तिष्कों और सकारात्मकता के लिये भी पहचाना जाना चाहिये, विकास जनोन्मुखी और जन आधारित होना चाहिये। देश का सच्चा विकास सामुदायिक सहभागिता में ही है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/संजीव