भारत की समृद्ध विरासत की गूंज आज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है : प्रधानमंत्री

 


नवसारी/नई दिल्ली, 22 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जब भाई-भतीजावाद, तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार राजनीति का लक्ष्य बन जाता है तो देश की विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आज भारत की समृद्ध विरासत की गूंज आज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।

प्रधानमंत्री ने आज गुजरात के नवसारी में 47,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कपड़ा, बिजली और शहरी विकास के क्षेत्रों में वडोदरा, नवसारी, भरूच और सूरत के लिए विकास परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन और शुभारंभ से गुजरात की विकास यात्रा को मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने विकास के साथ-साथ विरासत को प्राथमिकता देने पर सरकार के जोर को रेखांकित किया और कहा कि यह क्षेत्र भारत की आस्था और इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन हो या राष्ट्र निर्माण। उन्होंने भाई-भतीजावाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार की राजनीति के कारण क्षेत्र की विरासत की उपेक्षा पर भी अफसोस जताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके विपरीत, भारत की समृद्ध विरासत की गूंज आज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।

‘मोदी की गारंटी’ को लेकर चल रही चर्चा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके द्वारा दी गई गारंटी के पूरा होने की निश्चितता को रेखांकित किया कि यह बात गुजरात के लोगों को लंबे समय से पता है। उन्होंने कहा, “मोदी ने देश के गरीब, किसान, युवा और महिला सभी को सशक्त करने की गारंटी दी है और ये गारंटी सिर्फ योजनाएं बनाने की नहीं है बल्कि जो हकदार हैं उन तक योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाने की गारंटी है। मोदी की गारंटी वहां से शुरू होती है, जहां दूसरों से उम्मीद खत्म होती है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग मोदी की जाति को भी गाली देते हैं लेकिन कांग्रेस वाले भूल जाते हैं कि जितनी भी वो गाली देंगे, हमारा 400 पार का संकल्प उतना ही मजबूत होगा। ये जितना कीचड़ फेकेंगे, 370 कमल उतने ही शान से खिलेंगे। कांग्रेस के पास मोदी को गाली देने के अलावा विकास का कोई एजेंडा नहीं है।

प्रधानमंत्री ने ‘फाइव एफ’ को याद किया, जिसके बारे में वह अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान बात करते थे। इसका मतलब- फॉर्म, फॉर्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्टरी, फैक्टरी टू फैशन, फैशन टू फॉरेन था। अर्थात किसान कपास उगाएगा, कपास फैक्टरी में जाएगा, फैक्टरी में बने धागे से परिधान बनेंगे और यही परिधान विदेशों के लिए निर्यात होंगे। उन्होंने इस क्षेत्र में सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आज एक प्रकार से सूरत सिल्क सिटी का विस्तार नवसारी तक हो रहा है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएम मित्र पार्क के पूरा होने से पूरे क्षेत्र का चेहरा बदल जाएगा, जहां केवल इसके निर्माण में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि पार्क श्रमिकों के लिए घरों, लॉजिस्टिक्स पार्क, गोदाम, स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रशिक्षण और कौशल विकास की सुविधाओं से सुसज्जित होगा।

प्रधानमंत्री ने 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले तापी नदी बैराज के शिलान्यास का जिक्र करते हुए कहा कि इससे आने वाले वर्षों में सूरत में जल आपूर्ति से संबंधित समस्याएं हल हो जाएंगी। साथ ही बाढ़ और सुनामी जैसी आपदाओं से उबरने में भी मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने जनसमहू को पीएम सूर्यघर योजना के बारे में बताया जो न केवल घरों के ऊर्जा बिल को कम करेगी बल्कि आय उत्पन्न करने का माध्यम भी बनेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश की पहली बुलेट ट्रेन इस क्षेत्र से होकर गुजरेगी, क्योंकि यह क्षेत्र देश के बड़े औद्योगिक केंद्रों-मुंबई और सूरत को जोड़ेगा।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत नवसारी के किसानों को 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की आर्थिक मदद मिल चुकी है।

प्रधानमंत्री ने आदिवासी और तटीय गांवों की पहले की उपेक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने उमरगाम से लेकर अंबाजी तक के क्षेत्र में हर बुनियादी सुविधा सुनिश्चित की गई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी, 100 से अधिक आकांक्षी जिले जो विकास के मापदंडों में पीछे थे, वे देश के बाकी हिस्सों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

डिजिटल इंडिया पहल की सफलता और दायरे पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया डिजिटल इंडिया को पहचानती है। उन्होंने कहा, “ये वही डिजिटल इंडिया है, जिसका कांग्रेस के लोग कभी मजाक उड़ाया करते थे। आज डिजिटल इंडिया ने छोटे शहरों को ट्रांसफॉर्म कर दिया है।”

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल