प्रधानमंत्री सीओपी-28 के विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुबई रवाना

 


नई दिल्ली, 30 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को सीओपी-28 के विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना हुए। प्रधानमंत्री वहां तीन उच्च स्तरीय कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन के शुरुआती सत्र को संबोधित करेंगे और तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जिनमें से दो का भारत सह आयोजनकर्ता है। भारत को उम्मीद है कि सीओपी-28 में जलवायु वित्त पर एक स्पष्ट रोडमैप पर सहमति बनेगी। प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन के इतर अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। प्रधानमंत्री 01 दिसंबर की शाम को वहां से स्वदेश वापसी करेंगे।

प्रधानमंत्री ने यात्रा पर रवाना होने से पहले एक बयान में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक, मेरे भाई शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के निमंत्रण पर, मैं 01 दिसंबर को सीओपी-28 के विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुबई की यात्रा कर रहा हूं। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है, जो जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारे सभ्यतागत लोकाचार को ध्यान में रखते हुए, भारत ने हमेशा सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाते हुए जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया है। हमारी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, जलवायु हमारी प्राथमिकता में सबसे ऊपर थी। नई दिल्ली के नेताओं की घोषणा में जलवायु कार्रवाई और सतत विकास पर कई ठोस कदम शामिल है। मुझे उम्मीद है कि सीओपी-28 इन मुद्दों पर आम सहमति को आगे बढ़ाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सीओपी-28 पेरिस समझौते के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करने और जलवायु कार्रवाई पर भविष्य के पाठ्यक्रम के लिए एक रास्ता तैयार करने का अवसर भी प्रदान करेगा। भारत द्वारा आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में, ग्लोबल साउथ ने समानता, जलवायु न्याय और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांतों के आधार पर जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता के साथ-साथ अनुकूलन पर अधिक ध्यान देने की बात कही। यह महत्वपूर्ण है कि विकासशील दुनिया के प्रयासों को पर्याप्त जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ समर्थन दिया जाए। सतत विकास हासिल करने के लिए उनके पास न्यायसंगत कार्बन और विकास स्थान तक पहुंच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब जलवायु कार्रवाई की बात आती है तो भारत ने बात आगे बढ़ा दी है। नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण, ऊर्जा संरक्षण, मिशन लाइफ जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारी उपलब्धियां धरती माता के प्रति हमारे लोगों की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं जलवायु वित्त, ग्रीन क्रेडिट पहल और लीडआईटी सहित विशेष कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं। मैं दुबई में मौजूद कुछ अन्य नेताओं से मिलने और वैश्विक जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने के तरीकों पर चर्चा करने के अवसर की भी प्रतीक्षा कर रहा हूं।

हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/आकाश