केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस उपचार के लिए पायलट कार्यक्रम किया घोषित
नई दिल्ली, 14 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार ने गुरुवार को मोटर वाहनों के उपयोग के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के कैशलेस उपचार के लिए पायलट कार्यक्रम की घोषणा की। चंडीगढ़ में शुरू किए जा रहे इस कार्यक्रम का उद्देश्य गोल्डन ऑवर के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा प्रदान करना है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत सरकार, सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत कानूनी आदेश के अनुरूप, मोटर वाहनों के उपयोग के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू कर रही है।
मंत्रालय के अनुसार, पायलट कार्यक्रम के तहत पीड़ित दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक कैशलेस इलाज के हकदार हैं। किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहन के उपयोग के कारण होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू। आघात और बहु-आघात मामलों के लिए एबी पीएम-जेएवाई पैकेज को सहयोजित किया जा रहा है। उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा किए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी।
पायलट कार्यक्रम को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में विकसित किया गया है। यह फिलहाल चंडीगढ़ में शुरू किया जा रहा है और इसका उद्देश्य गोल्डन ऑवर के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) आदि के समन्वय से पायलट कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
कार्यक्रम को एक आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-डीएआर एप्लिकेशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) की कार्यक्षमताएं शामिल होंगी।
पायलट कार्यक्रम के नतीजे के आधार पर पूरे देश में कैशलेस इलाज सुविधा के विस्तार पर विचार किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/आकाश