अंगदान को लेकर डीएमए के 20 हजार डॉक्टरों ने ली शपथ, मरीजों को भी अब करेंगे प्रेरित

 


नई दिल्ली, 26 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का 64वां वार्षिक सम्मेलन मेडिकॉन रविवार को दिल्ली के अशोक होटल में हुआ। इसमें दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े न केवल 20 हजार डॉक्टरों ने अंगदान की शपथ ली, बल्कि भरोसा दिलाया कि वो अपने मरीजों को भी अंगदान को लेकर समझ बढ़ाएंगे और प्रेरित करेंगे। ताकि जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मरीजों और उनके परिवार की तकलीफ कम हो पाए।

इस मौके पर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अश्विनी डालमिया ने कहा कि सालाना ये मौका है जब हम एक मंच पर जुटते हैं। जानकारी साझा करते हैं। जरूरी है की साइंटिफिक सोशल समागम में हमारी तकलीफ और हमारे मुद्दों को भी आपस में हम साझा करें और उन जरूरी चीजों को भी जिनसे सामाजिक सोच भी बदले और राष्ट्र प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। ऐसे में एक मुद्दा ऑर्गन डोनेशन का है। लिहाजा न सिर्फ यहां मौजूद डॉक्टर्स बल्कि एसोसिएशन से जुड़े हमारे 20 हज़ार साथी डॉक्टर्स ने भी आज ऑर्गन डोनेशन की शपथ ली है और यही नहीं जहां वो मरीजों से मिलेंगे उनको अंगदान को लेकर प्रेरित करेंगे। अंगदान की शपथ एनओटीटीओ यानी नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के निदेशक अनिल कुमार ने दिलवाई।

डीएमए के सचिव डॉक्टर अजय बेदी और पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर विनय अग्रवाल ने डॉक्टरों के साथ मारपीट का मुद्दा दोहराया। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टर पिटते रहेंगे तो भला इलाज कौन करेगा। ठोस नीति और ठीक नीयत का अभाव दिखता है। आए दिन मरीज के तीमारदार गुस्से में आपा खो देते हैं और शिकार डॉक्टर हो जाता है। ये गलत है।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉक्टर गिरीश त्यागी ने कहा कि हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से राजघाट तक पैदल मार्च भी किया। एकजुट भी हुए, लेकिन हालात बदलने को लेकर सिवाय आश्वासन मिलने के अलावा अब तक कुछ नहीं हुआ। आश्वासन आज से नहीं लंबे वक्त से मिल रहा है पर हालात अब तक नहीं सुधरे। ये गंभीर मुद्दा है और हम डॉक्टरों के लिए काफी अहम।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर अरुण गुप्ता ने मेडिकल एथिक्स का मुद्दा दोहराया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर गलत हो तो उसको टांग दो..सजा दो..फांसी पर लटका दो, लेकिन आखिर तय कौन करेगा कि गलती डॉक्टर की है। कोर्ट मीडिया ट्रायल गलत है।

डीएमए के मेडिकॉन में अलग-अलग बीमारी और उनके उपचार को लेकर भी कई सेशन हुए। इनमें कैंसर, स्ट्रोक, हार्ट डिजीज, नेफ्रो, नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में हासिल उपलब्धि और चुनौती पर अलग सत्र का आयोजन हुआ। जहां आपस में इलाज के ज्ञान का आदान प्रदान भी किया गया। यही नहीं, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के इस कार्यक्रम के दौरान मेडिकल प्रोफेशन एट क्रॉसरोड्स, रोल ऑफ काउंसिल, मीडिया, ज्यूडिशियरी एंड पुलिस पर पैनल डिस्कशन भी किया गया।

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अश्विनी डालमिया ने कार्यक्रम के अंत में दोहराया कि आपस के संवाद से समस्याओं का हल आसानी से निकलता है। यही वजह है कि साल में एक बार मिलना जरूरी है ताकि एक मंच पर अपनी समस्या, मेडिकल जगह में नए सुधार और समाज के लिए कुछ नया करने की कोशिश को लेकर मंथन करते हैं और यहां से हासिल ऊर्जा, सुझाव और निर्णय के सहारे आगे बढ़ते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/विजयलक्ष्मी/पवन