मुंबई एयरपोर्ट संचालकों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी, ताकि ईंधन और धन की बचत हो सके
नई दिल्ली , 14 फरवरी (हि.स.)। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) एक विश्लेषण के मुताबिक एक विमान औसतन प्रति घंटे 2000 किलोग्राम या उससे अधिक ईंधन की खपत करता है। विमानतल से उड़ान भरने या पर उतरने से पहले एयर स्पेस में भीड़-भाड़ होती है। इसके चलते उड़ानों को कभी कभई लगभग 30-40 मिनट की लंबी अवधि के लिए शहर के ऊपर मंडराने के लिए बाध्य होना पड़ता है। इस दौरान हवा में लगभग 2.5 किलोलीटर से अधिक जेट ईंधन खर्च हो जाता है, अर्थात 2.6 लाख रुपये से अधिक अनावश्यक व्यय होता है। मुंबई एयरपोर्ट पर अधिकांशतः ऐसा होता है। इसे देखते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने मुंबई एयरपोर्ट के संचालकों को नया दिशा निर्देश जारी किया है।
दरअसल, हवाई क्षेत्र की इस तरह की भीड़भाड़ को दूर करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा एक विश्लेषण किया गया। इस विश्लेषण में पाया गया कि उच्च तीव्रता वाले रनवे संचालन के 6 घंटे (एचआईआरओ अर्थात 0800 बजे से 1100 बजे और 1700 से 2000 बजे तक) के दौरान प्रति घंटे हवाई यातायात दिन के शेष 18 घंटों में प्रति घंटे हवाई यातायात के लगभग बराबर था। इसलिए एचआईआरओ अवधि के दौरान हवाई यातायात गतिविधियों को 46 से 44 प्रति घंटे और गैर-एचआईआरओ अवधि में 44 से 42 तक सीमित करने के निर्देश दिया है। इससे संचालन दक्षता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका दुष्प्रभाव यात्रियों और एयरलाइनों दोनों पर भी नहीं पड़ेगा ।
एएआई के नए निर्देशों से संभव है कि यात्रा पूरी होने के बाद विमानों को उतरने से पहले अनावश्यक रूप से हवा में गोल चक्कर न लगाने पड़ें। इससे तेल और उससे होने वाली आर्थिक हानि तो कम होगी ही, यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी। उतरने से पूर्व अनावश्यक रूप से इंतजार करना काफी कठिन जान पड़ता है।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/जितेन्द्र