नेहरू पेपर्स पर संस्कृति मंत्रालय का जवाब- दस्तावेज वापस न करने के सोनिया गांधी के तर्क असंगत और अस्वीकार्य
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (हि.स.)। नेहरू पेपर्स को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। नेहरू पेपर्स को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लोकसभा में सोमवार को पूछे गए तारांकित प्रश्न और उसके उत्तर को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट साझा किया था, जिसके बाद संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बुधवार को कहा कि “नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (अब पीएमएमएल) से दस्तावेज लापता नहीं हैं। लापता का अर्थ मौजूदगी का स्थान अज्ञात होना है, इस मामले में ज्ञात है कि पेपर्स कहां और किसके अधिकार में हैं।”
संस्कृति मंत्री ने कहा कि
“जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कागज़ात वाले 51 बक्सों को गांधी परिवार ने साल 2008 में पीएमएमएल (तत्कालीन एनएमएमएल) से वापस ले लिया था।
ये दस्तावेज़ साल 2008 में विधिवत प्रक्रिया के तहत परिवार को सौंपे गए थे और पीएमएमएल में इनके रिकॉर्ड व कैटलॉग मौजूद हैं। मूल प्रश्न यह है कि क्यों इन दस्तावेज़ों को अब तक वापस नहीं किया गया, जबकि पीएमएमएल की ओर से इस बारे में कई बार पत्र भेजे गए, विशेषकर जनवरी और जुलाई 2025 में भी।”
उन्होंने सोनिया गांधी से सवाल करते हुए कहा कि “क्या छिपाया जा रहा है? वैसे भी दस्तावेज़ वापस न करने के लिए दिए जा रहे तर्क असंगत और अस्वीकार्य हैं।
सवाल यह भी है कि इतने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ सार्वजनिक अभिलेखागार के बाहर क्यों हैं? ये निजी पारिवारिक दस्तावेज़ तो बिल्कुल नहीं हैं, ये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभिलेख हैं। ऐसे दस्तावेज़ सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए, किसी बंद कमरे में नहीं।
विद्वानों, शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को यह अधिकार है कि वे मूल दस्तावेज़ों तक पहुंच पाएं, ताकि जवाहरलाल नेहरू के जीवन और दौर को समझने के लिए सत्य पर आधारित संतुलित दृष्टिकोण विकसित हो सके।
एक तरफ हमें उस दौर की गलतियों पर चर्चा न करने को कहा जाता है, दूसरी ओर उनसे जुड़े मूल दस्तावेज़ सार्वजनिक पहुंच से बाहर रखे जा रहे हैं, जबकि उनके माध्यम से तथ्यपरक चर्चा हो सकती है।”
उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है। इतिहास को चुनकर नहीं लिखा जा सकता। लोकतंत्र की बुनियाद पारदर्शिता है और अभिलेख उपलब्ध कराना नैतिक दायित्व, जिसे निभाना सोनिया गांधी और उनके परिवार की भी जिम्मेदारी है। साल 2008 में नेहरू पेपर्स को पीएमएमएल से बाहर ले जाया गया, तब कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि, “जयराम रमेश जी को क्यों पता नहीं है कि सोनिया गांधी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ये दस्तावेज़ उनके पास हैं, उन्होंने इस संबंध में सहयोग का आश्वासन भी दिया था, जो अब तक प्रतीक्षित है।
अतः तथ्यहीन आरोप लगाने के बजाय, बेहतर होगा कि वे सोनिया गांधी से आग्रह करें कि वे अपने लिखित वचन का पालन करते हुए इन दस्तावेज़ों को पीएमएमएल को लौटाएं।
तभी महत्वपूर्ण अभिलेखों तक पूर्ण पहुंच मिल सकेगी और नेहरू जी के दौर के सत्य का निष्पक्ष एवं पारदर्शी अध्ययन संभव हो सकेगा।”
दरअसल, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लोकसभा में सोमवार को पूछे गए तारांकित प्रश्न और उत्तर की प्रति साझा करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कल आखिरकार लोकसभा में सच्चाई सामने आ ही गई। क्या अब माफी मांगी जाएगी?’’
सांसद एवं भाजपा नेता संबित पात्रा ने लोकसभा में लिखित प्रश्न किया था कि क्या साल 2025 में पीएमएमएल के वार्षिक निरीक्षण के दौरान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कतिपय दस्तावेज संग्रहालय से गायब हैं?
इसके उत्तर में संस्कृति मंत्री शेखावत ने कहा, ‘‘साल 2025 में पीएमएमएल के वार्षिक निरीक्षण के दौरान संग्रहालय से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई दस्तावेज गायब नहीं पाया गया है।’’
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी