(वार्षिकी) मप्र के लिए है 2025 परिवहन क्रांति का आधार वर्ष, मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना शुरू
भोपाल, 30 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 मध्य प्रदेश के विकास इतिहास में उस निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज हो रहा है, जब परिवहन व्यवस्था को केवल आवागमन तक सीमित न रखकर उसे सामाजिक समानता, ग्रामीण सशक्तिकरण और आर्थिक प्रगति का माध्यम बनाया गया। प्रदेश की भौगोलिक विशालता और बड़ी ग्रामीण आबादी को देखते हुए लंबे समय से एक सशक्त, संगठित और सर्वसुलभ परिवहन प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इसी आवश्यकता का ठोस उत्तर बनकर सामने आई मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना, जिसने 2025 में प्रदेश की परिवहन तस्वीर बदलने की दिशा तय कर दी।
दरअसल, मध्य प्रदेश की लगभग 72 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। प्रदेश के हजारों गांव ऐसे थे, जहां नियमित सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं होने के कारण लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। शहरों में भी निजी वाहनों की बढ़ती संख्या से यातायात दबाव, प्रदूषण और समय की बर्बादी जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए 2025 में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के सभी शहरों और गांवों को एक मजबूत, सुलभ और किफायती सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क से जोड़ना है।
योजना का दायरा इतना व्यापक है
मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना से सीधे तौर पर प्रदेश के करीब 6 से 7 करोड़ नागरिकों को लाभ मिलने का अनुमान है। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली बड़ी आबादी के साथ-साथ छोटे शहरों और नगरों के यात्री भी शामिल हैं। सरकारी आकलन के अनुसार इस योजना के पहले चरण में ही 20 हजार से अधिक गांवों को नियमित परिवहन सेवाओं से जोड़ने की तैयारी है। आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़कर 30 हजार से अधिक गांवों तक पहुंच सकती है। इससे प्रदेश के दूरस्थ और जनजाति अंचलों को भी मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी।
राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी से व्यवस्था को मिलती मजबूती
वर्ष 2025 की इस योजना की सबसे अहम विशेषता है राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी का गठन। यह कंपनी परिवहन सेवाओं के संचालन, प्रबंधन और विस्तार की जिम्मेदारी संभालेगी। इससे प्रदेश में बिखरी हुई परिवहन व्यवस्थाओं को एकीकृत किया जा सकेगा और सेवा की गुणवत्ता पर लगातार निगरानी संभव होगी। इस संरचना से शहरी और ग्रामीण परिवहन के बीच बेहतर तालमेल बनेगा और संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा।
101 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी और आगे का निवेश
मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना के लिए राज्य सरकार ने 101 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी का प्रावधान किया है। यह राशि नई बस सेवाओं की शुरुआत, मौजूदा परिवहन संसाधनों के आधुनिकीकरण, तकनीकी सिस्टम और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने में खर्च की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रारंभिक निवेश आने वाले वर्षों में कई गुना आर्थिक लाभ देगा। बेहतर परिवहन नेटवर्क से व्यापार, उद्योग और सेवाक्षेत्र को गति मिलेगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ होगा।
मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना को रोजगार सृजन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अनुमान है कि योजना के विभिन्न चरणों में प्रत्यक्ष रूप से लगभग 40 से 50 हजार नए रोजगार सृजित होंगे, इनमें ड्राइवर, कंडक्टर, तकनीकी स्टाफ, मैकेनिक, प्रबंधन और प्रशासनिक कर्मी शामिल होंगे। अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार और आजीविका के अवसर मिल सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दिए जाने से पलायन पर भी सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया संबल
बेहतर परिवहन से गांवों में कृषि उत्पाद, दुग्ध, सब्जियां और हस्तशिल्प जैसे स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाना आसान होगा। इससे किसानों और छोटे व्यापारियों की आय बढ़ेगी। बेहतर कनेक्टिविटी से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों में 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि संभव है। इसके साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच से मानव संसाधन की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिसका दीर्घकालिक लाभ राज्य को मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना को प्रदेश के समग्र विकास से जोड़ते हुए कहा है कि “मध्यप्रदेश में परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना के माध्यम से हम करोड़ों नागरिकों के जीवन को आसान बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश का हर गांव, हर नागरिक बेहतर कनेक्टिविटी के जरिए विकास से जुड़े। यह योजना रोजगार, व्यापार और सामाजिक समानता तीनों को मजबूती देगी।”
शहरी परिवहन और पर्यावरणीय लाभ
शहरों में बेहतर सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध होने से निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी। इससे ईंधन की बचत, प्रदूषण में कमी और यातायात दबाव घटाने में मदद मिलेगी। अनुमान है कि प्रभावी सार्वजनिक परिवहन से शहरी क्षेत्रों में यातायात संबंधी समस्याओं में 15–20 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन योजना से मध्यप्रदेश को दीर्घकाल में कई आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है, जिसमें कि हम कह सकते हैं कि इस कदम से प्रभावी रूप से राज्य के आंतरिक व्यापार और बाजारों की गति तेज होगी। औद्योगिक और कृषि आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। बेहतर कनेक्टिविटी से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, जिसमें कि इसका जो सबसे बड़ा लाभ दिखता है वह है मजबूत परिवहन नेटवर्क से राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में आने वाले वर्षों में 1 से 1.5 प्रतिशत तक की अतिरिक्त वृद्धि संभव है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी