केंद्र में तीसरी बार एनडीए-नीत भाजपा सरकार बनाने में सफल रहा मप्र

 






-बतौर सीएम मोहन यादव से प्रसन्न है राज्य की जनता

भोपाल, 05 जून (हि.स.)। मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए केंद्र में तीसरी बार सत्ता बनाने के लिए अंकों की राजनीति में सबसे निकट पहुंचाने वाला राज्य बना है। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में 29 लोकसभा सीट हैं और सभी में भाजपा ने अपनी प्रचंड जीत दर्ज कराई है, जबकि तमाम जीत के दावे करने वाली कांग्रेस को यहां पूर्व में एकमात्र छिंदवाड़ा सीट भी इस बार गंवानी पड़ी। भाजपा के विवेक बंटी साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ को एक लाख 13 हजार 618 वोटों से मात दी है। इससे पहले 1984 के जरूर अविभाजित मप्र-छग में एक बार यह स्थिति बनी थी, तब कांग्रेस ने सभी 40 सीटें जीती थीं। लेकिन पिछले 40 साल तक इस रिकार्ड को कोई नहीं तोड़ पाया था।

मतदान गणना के दिन देखा यही गया कि मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा सुबह 8 बजे से ही बढ़त बनाए हुए थी और अंतिम परिणाम आने तक भाजपा क्लीन स्वीप कर गई। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जो कहा, वह सही साबित होता दिखा। दरअसल, उन्होंने राज्य में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होते हुए देखने की बात कही थी। राजधानी भोपाल हो या गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया हर जगह भाजपा ने भारी बहुमत के साथ लोस चुनाव 2024 जीता है।

दूसरी ओर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाई। यहां यदि पूरे चुनावी समय का विश्लेषण करें तो ध्यान में आता है कि जब चुनाव आरंभ हो रहा था तब यही माना जा रहा था कि कांग्रेस छिंदवाड़ा तो जीतेगी ही, साथ में वह अन्य लोकसभा सीटें भी जीत सकती है। इसके पीछे की मुख्य वजह कई स्थानों पर भाजपा सांसदों की निष्क्रियता को बताया जा रहा था, लेकिन जब बात कांग्रेस की ओर से मुस्लिम आरक्षण से लेकर देश में बहुमत के लिए कोई जगह नहीं है तक की आई तो मप्र की होशियार जनता ने अपना मन बना दिया कि इस बार भी वे मोदी सरकार को सत्ता में लेकर आएंगे और उन्होंने अपने यहां की 29 की 29 सीटे भाजपा की झोली में डाल दीं।

कहना होगा कि एक तरह से विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद भाजपा नेतृत्व ने मध्य प्रदेश की कमान मोहन यादव को सौंपी थी। उस वक्त कोई उम्मीद नहीं कर रहा था कि डॉ मोहन यादव एक सशक्त एवं संवेदनशील मुख्यमंत्री साबित होंगे। किंतु कुछ ही माह में अपने निर्णयों एवं दूरदर्शिता से उन्होंने यह करिश्मा कर दिखाया है। सत्ता में बैठने के बाद उन्हें इतना समय तक नहीं मिला कि वे लोकसभा चुनाव के लिए भी अपनी तैयारी ठीक से कर लेते, फिर भी उन्होंने सत्ता संभालने के बाद कई अहम फैसले लिए, जिनकी अनेक अवसरों पर राष्ट्रीय फलक पर गंभीर चर्चा हुई है। निश्चित ही इससे उनकी जमीनी साख तो बनी ही साथ में वे मप्र की जनता का दिल जीतने में सफल रहे।

लोक सभा चुनाव 2024 के परिणामों को लेकर भी वह पहले दिन से स्पष्ट थे। मुख्यमंत्री यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए 'अबकी बार छिंदवाड़ा पार' का नारा दिया था। उन्होंने साफ-साफ कहा था कि छिंदवाड़ा में इस बार कमल खिलकर रहेगा और यहां सबसे बड़ी बात यह है कि जो उन्होंने कहा, वह करके दिखा दिया।

निश्चित ही यह मप्र के लिए पहली बार है कि उसे लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में 100 प्रतिशत अंक मिले हैं। आज यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस जीत के कारण ही केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार तीसरी बार बनेगी और फिर उनके सर्वमान्य नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड तीन बार प्रधानमंत्री बनने की बराबरी करने जा रहे हैं।

इसके साथ मप्र में रिकार्ड मतों से जीतने वाले सांसदों का अपना एक नया रिकार्ड भी बना है। इंदौर से भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। वे 11 लाख 75 हजार 92 वोटों से जीते हैं। विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में तीसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। उन्हें 8 लाख 21 हजार 408 वोटों से विजय मिली। इसी तरह से गुना से लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया, खजुराहो लोस सीट से भाजपा मप्र के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, मप्र की राजधानी भोपाल से आलोक शर्मा एवं मंदसौर से चुनाव लड़ने वाले सुधीर गुप्ता भाजपा के ऐसे प्रत्याशी रहे हैं जिनकी जीत का मार्जिन पांच लाख से ज्यादा रहा है।

अन्य जो प्रदेश की सबसे अहम सीट थीं, वह टीकमगढ़ और मंडला थीं, जिसमें कि वीरेंद्र कुमार खटीक 4 लाख 3 हजार 312 वोट से टीकमगढ़ से जीतने में सफल रहे तो वहीं, मंडला सीट से भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी जोरदार जीत दर्ज की। इसके अलावा एक रिकार्ड राज्य में नोटा का भी बना है। इंदौर में नोटा को 2 लाख 18 हजार 674 वोट मिले हैं। यह देश में नोटा की गणना में सबसे अधिक बताए जा रहे हैं। यहां यह भी देखने को मिला है कि 2019 लोस चुनाव की तुलना में भारतीय जनता पार्टी का इस बार 59.27 प्रतिशत वोट शेयर रहा, जोकि पहले के मुकाबले 1.27 प्रतिशत अधिक है। दूसरी ओर कांग्रेस के वोट में गिरावट देखने को मिली है, इस बार 32.44 प्रतिशत वोट शेयर रहा यानी कि पूर्व की तुलना में इसमें 2.06 प्रतिशत यह नीचे पहुंचा है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ मयंक चतुर्वेदी/आकाश