मप्र के पेंच से बाघिन का राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सफल स्थानांतरण
भोपाल, 21 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्थित प्रसिद्ध पेंच टाइगर रिज़र्व से रविवार को तीन वर्ष आयु की एक बाघिन का राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में सफलतापूर्वक स्थानांतरण किया गया है। यह स्थानांतरण भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर के माध्यम से सुरक्षित रूप से संपन्न हुआ। यह स्थानांतरण कार्य फील्ड डायरेक्टर देवप्रसाद जे. के सहयोग एवं पेंच टाइगर रिज़र्व के उप संचालक रजनीश कुमार सिंह के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्थानांतरण अभियान विगत एक माह से सुव्यवस्थित योजना एवं वैज्ञानिक पद्धतियों के तहत संचालित किया जा रहा था। पेंच टाइगर रिज़र्व प्रबंधन द्वारा उपयुक्त बाघिन की पहचान कर उसे उन्नत एआई आधारित कैमरा ट्रैप एवं मोशन सेंसर कैमरों के माध्यम से निरंतर ट्रैक एवं मॉनिटर किया गया। इस उद्देश्य से क्षेत्र में लगभग 50 कैमरे स्थापित किए गए थे।
उन्होंने बताया कि अभियान का समन्वय राजस्थान वन विभाग के साथ निकट सहयोग में किया गया। राजस्थान के मुख्य वन संरक्षक सुगनाराम जाट तथा पशु चिकित्सक डॉ. तेजिंदर विगत एक माह से इस अभियान का समन्वय कर रहे थे एवं पिछले 8 दिनों से पेंच टाइगर रिज़र्व में उपस्थित रहकर अभियान की सतत निगरानी कर रहे थे।
रविवार को स्थानांतरण से पहले बाघिन का निश्चेतन डॉ अखिलेश मिश्रा एवं डॉ प्रशांत द्वारा वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट की टीम के साथ तथा डॉ. काजल एवं डॉ अमोल (वेटरनरी कॉलेज, जबलपुर एवं फील्ड बायोलॉजिस्ट श्री अनिमेष चव्हाण के सहयोग से किया गया।
पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व स्थानांतरण के दौरान पेंच टाइगर रिज़र्व से मिशन लीडर सहायक संचालक गुरलीन कौर (आईएफएस), वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ मिश्रा, पशु चिकित्सक डॉ प्रशांत देशमुख (वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट) तथा रेंज अधिकारी लोकेश कुमार चौधरी, और दोनों प्रदेशों की टीम के साथ एमआई-17 हेलीकॉप्टर द्वारा बाघिन के सुरक्षित स्थानांतरण हेतु गए, जिससे अंतर-राज्यीय समन्वय एवं संचालन की प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सकी।
इस अभियान की सफलता में पेंच टाइगर रिज़र्व के कुरई एवं रुखड़ रेंज के मैदानी अमले का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा। संबंधित कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन प्रातः 06 बजे से सायं 06 बजे तक, दिन में दो बार कैमरा ट्रैप की जांच, नियमित गश्त तथा चिन्हित बाघिन की गतिविधियों के संकेतों की सतत खोज कर अथक प्रयास किए गए।
यह सफल स्थानांतरण अंतर-राज्यीय समन्वय, भारतीय वायुसेना के सहयोग तथा वैज्ञानिक वन्यजीव प्रबंधन के माध्यम से बाघ संरक्षण को सुदृढ़ करने और विभिन्न टाइगर लैंडस्केप में आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
हिन्दुस्थान समाचार/रवि सनोड़िया
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर