(वार्षिकी) मध्य प्रदेश का बजटीय प्रयोग; रोलिंग बजट से ‘विजन 2047’ तक आर्थिक नवाचार की नई इबारत
भोपाल, 23 दिसंबर (हि.स.)। साल 2025 मध्य प्रदेश की आर्थिक और वित्तीय नीतियों के इतिहास में एक मील का पत्थर बनने जा रहा है। इस वर्ष राज्य ने विकास दर, निवेश और सामाजिक योजनाओं में नए आयाम जोड़ने के साथ ही बजट व्यवस्था में भी ऐतिहासिक प्रयोग की घोषणा की है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आगामी तीन वर्षों के लिए रोलिंग बजट तैयार करने का ऐलान किया जो मध्य प्रदेश को देश का पहला ऐसा राज्य बना देता है जो पारंपरिक वार्षिक बजट से आगे बढ़कर दीर्घकालिक, लचीली और परिणामोन्मुख वित्तीय योजना अपनाएगा। मप्र के इस निर्णय को आज आर्थिक विशेषज्ञ 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप अपनी आर्थिक दिशा तय करने वाले राज्य के रूप में देख रहे हैं।
'रोलिंग बजट' क्रांतिकारी कदम
अब तक देश में केंद्र और राज्य सरकारें वार्षिक बजट प्रणाली पर निर्भर रही हैं, जिसमें हर साल नए सिरे से आय-व्यय का खाका बनता है, लेकिन बदलती आर्थिक परिस्थितियों, वैश्विक अनिश्चितताओं और दीर्घकालिक परियोजनाओं के चलते यह प्रणाली कई बार सीमित साबित होती है। इसी पृष्ठभूमि में मध्य प्रदेश सरकार ने तीन वर्षीय रोलिंग बजट की पहल की है।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि लोकतंत्र की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए जनअपेक्षाओं के अनुरूप मध्यप्रदेश का बजट तैयार किया जाएगा। नवाचार के रूप में वर्ष 2026-27 के बजट अनुमानों के साथ वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के सांकेतिक बजट अनुमान भी तैयार किए जा रहे हैं। इस प्रकार आगामी तीन वर्षों के लिए रोलिंग बजट तैयार करने की पहल करने में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा।
दरअसल, रोलिंग बजट का अर्थ है कि सरकार एक साथ अगले तीन वर्षों की प्राथमिकताएं, संसाधन और योजनाएं तय करेगी, जिसमें कि हर वर्ष उसमें परिस्थितियों के अनुसार संशोधन की गुंजाइश रहेगी। इससे योजनाओं में निरंतरता आएगी, अधूरी परियोजनाओं की समस्या घटेगी और बजट केवल आंकड़ों का मायाजाल न रहकर जन अपेक्षाओं का जीवंत दस्तावेज बनेगा। मंत्री देवड़ा ने स्पष्ट कहा है कि इस मॉडल से पारदर्शिता, जवाबदेही और परिणाम आधारित शासन को मजबूती मिलेगी।
जनभागीदारी से बनेगा बजट
मध्य प्रदेश का यह बजट प्रयोग केवल तकनीकी बदलाव तक सीमित रहने नहीं जा रहा है, इसमें जनभागीदारी को केंद्र में रखा गया है। बजट प्रक्रिया के दौरान ई-मेल, वेबसाइट और अन्य डिजिटल माध्यमों से 945 सुझाव अब तक प्राप्त हो चुके हैं। ये सुझाव कृषि, महिला सशक्तिकरण, युवा, उद्योग, संस्कृति और तकनीक जैसे विविध क्षेत्रों से जुड़े थे। सरकार का दावा है कि इन सुझावों का नीति निर्धारण में वास्तविक उपयोग किया जाएगा, जिससे बजट जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब बने। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने आम जन को भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया है।
तैयार हुआ विजन 2047 के अनुरूप अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का रोडमैप
मध्य प्रदेश को आर्थिक रूप से पूरी तरह सफल बनाने के लिए अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का रोडमैप विजन 2047 तैयार किया गया है। इसमें वर्ष 2029 तक राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 27.2 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया जा चुका है। वर्ष 2047 तक इसे 250 लाख करोड़ से अधिक करने का संकल्प लिया गया है। इस लक्ष्य के पीछे कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन के समग्र विकास की रणनीति है। वर्ष 2025-26 के लिए 82,513 करोड़ रुपये का प्रावधान अब तक का सबसे बड़ा बजट संकेत देता है। यह बताता है कि सरकार विकास में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती।
कृषि सब्सिडी से आत्मनिर्भरता की ओर
आगामी बजट में कृषि और किसानों को केंद्र में रखने की घोषणा खास मायने रखती है। सरकार का लक्ष्य सब्सिडी पर निर्भरता घटाकर किसानों की शुद्ध आय बढ़ाना है। इसके लिए तकनीक आधारित खेती, मूल्य संवर्धन और बाजार से सीधा जुड़ाव बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। खेती में ड्रोन तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘ड्रोन आचार्य भक्तराज’ जैसे विशेषज्ञों ने ‘सेवा वाउचर मॉडल’ का सुझाव दिया है, ताकि छोटे किसान भी महंगी तकनीक का लाभ उठा सकें। यह पहल खेती को स्मार्ट और लागत प्रभावी बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
महिला सशक्तिकरण : लाभार्थी से क्रिएटर तक
2025 के बजटीय विमर्श में महिला सशक्तिकरण को नई दृष्टि से देखा गया है। आरबीआई और निकोर फाउंडेशन जैसे संस्थानों ने सुझाव दिया कि महिलाओं को योजनाओं की लाभार्थी से आगे तक की यात्रा पर ले जाना होगा, इसके लिए उन्हें आर्थिक गतिविधियों का ‘क्रिएटर’ बनाया जाए। अत: जेंडर बजट में ‘केयर इकोनॉमी’ को शामिल करने, महिला उद्यमिता, स्टार्टअप्स और स्वयं सहायता समूहों को बाजार से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार की ये सोच सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी गति देने वाली है।
युवा और कौशल : जनसांख्यिकीय लाभ का उपयोग
मध्य प्रदेश की बड़ी युवा आबादी को देखते हुए बजट में युवा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आशुतोष सिंह ठाकुर जैसे विशेषज्ञों ने नेशनल यूथ पॉलिसी के अनुरूप स्किल ट्रेनिंग, उच्च शिक्षा और रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों के लिए अलग बजट प्रावधान की सिफारिश की। इससे राज्य अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड का बेहतर उपयोग कर सकेगा। औद्योगिक विकास को लेकर बजट चर्चाओं में डिफेंस कॉरिडोर, सेमीकंडक्टर निर्माण, आईटी हब और लॉजिस्टिक क्लस्टर्स को बढ़ावा देने की बात प्रमुख रही। सिद्धार्थ चतुर्वेदी सहित उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि नीति स्थिरता और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश जारी रहा तो मध्य प्रदेश अगले दशक में मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स का बड़ा केंद्र बन सकता है।
नाबार्ड और आरबीआई के अधिकारियों ने भी इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट और एमएसएमई क्लस्टर्स को मजबूत करने की सलाह दी। इससे रोजगार सृजन के साथ-साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी कम होगा।
वित्तीय अनुशासन और सतत विकास
वित्त सचिव लोकेश कुमार जाटव ने आश्वासन दिया कि सभी सुझावों का गंभीर परीक्षण कर उन्हें यथोचित स्थान दिया जाएगा। सरकार का फोकस खर्च बढ़ाने से कहीं अधिक वित्तीय अनुशासन, सतत विकास और परिणाम आधारित बजटिंग पर है। यह संतुलन ही मध्य प्रदेश की आर्थिक नीति को अन्य राज्यों से अलग करता है।
इस तरह देखें तो मध्य प्रदेश आज नीतिगत नवाचारों की प्रयोगशाला बनना हुआ दिखाई देता है। रोलिंग बजट की पहल, विजन 2047 का स्पष्ट रोडमैप, जनभागीदारी, तकनीक आधारित कृषि, महिला और युवा केंद्रित नीतियां ये सभी कदम मिलकर मध्य प्रदेश को विकास की नई परिभाषा की ओर ले जा रहे हैं। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में अन्य राज्य भी मध्य प्रदेश के इस बजटीय प्रयोग को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी