पद्मश्री से सम्मानित मप्र की जोधइया बाई बैगा का 86 साल की उम्र में निधन
उमरिया, 15 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले को दुनिया भर में अपनी चित्रकारी से पहचान दिलाने वाली प्रसिद्ध बैगा आदिवासी चित्रकार और पद्मश्री से सम्मानित जोधइया बाई बैगा का रविवार काे निधन हो गया है। वे बीते कुछ महीनों से बीमार थीं और उम्र अधिक होने और न्यूरो से संबंधित जटिलताओं के कारण उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी, जिसके चलते उनकी हालत गंभीर हुई थी। उन्होंने आज 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
उमरिया के जनसम्पर्क कार्यालय ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी पुष्टि की है। जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा ट्वीट के माध्यम से बताया गया है कि उमरिया जिले की शान आदिवासी चित्रकार जोधइया बाई का 86 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। बैगा चित्रकला को देश विदेश तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान था। वर्ष 2023 में राष्ट्रपति ने उन्हें चित्रकला में विशेष योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार दिया था।
बीते महीने जोधइया बाई को न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट की जरूरत थी, जो उमरिया जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं थे। उन्हें एंबुलेंस से जबलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया था, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो पाया। भोजन नहीं कर पाने के कारण उनका शरीर और अधिक दुर्बल हो गया था। अपने पैतृक ग्राम लोढ़ा स्थित निज निवास पर रविवार को उनका निधन हो गया।
गौरतलब है कि उमरिया जिले के छोटे से गांव लोढ़ा में रहने वाली जोधइया बाई जंगल से खाद, जलाऊ लकड़ी और मेवे बेचकर अपने परिवार का गुजर-बसर करती थीं। जब वह चालीस वर्ष की थीं, तब उनके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने पेंटिंग का काम शुरू किया। उनकी कलात्मक शैली की तुलना जंगढ़ सिंह श्याम से की जाती थी, जो गोंड थे। कैनवास और कागज पर पेंटिंग करने के बाद, वह अब मिट्टी, धातु और लकड़ी जैसे अन्य मीडिया का भी उपयोग करती थीं। उनका पोता मुखौटे बनाता है, जिसे वह पेंट करती थीं। उनकी पेंटिंग भोपाल, दिल्ली, मिलान और पेरिस में प्रदर्शित हो चुकी हैं। साल 2022 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें उनकी उपलब्धियों के सम्मान में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके बाद उन्हें 2023 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
जोधइया बाई बैगा ने विलुप्त होती बैगा चित्रकला को अपने कौशल के माध्यम से वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने अपनी अद्भुत चित्रकला से न केवल उमरिया जिले, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया। उनकी कला में आदिवासी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत चित्रण देखने को मिलता था। वे बैगा समुदाय की कला और संस्कृति की सशक्त पहचान थीं। जोधइया बाई बैगा का निधन कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। वे आदिवासी समुदाय की सशक्त आवाज थीं और उनकी कला हमेशा इस बात की याद दिलाएगी कि भारतीय परंपराओं में कितना गहराई और सौंदर्य है।------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर