सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में देश की सुरक्षा स्थिति और चुनौतियों पर हुआ मंथन

 

- रक्षा मंत्री ने आतंकवाद से लड़ने में सेना की शानदार भूमिका पर प्रकाश डाला

- सैन्य कमांडरों ने अधिकारियों के साथ वैचारिक मुद्दों पर किया विचार-विमर्श

नई दिल्ली, 02 अप्रैल (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में आखिरी दिन मंगलवार को वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व को संबोधित करने के साथ ही कमांडरों से बातचीत भी की। उन्होंने हर जरूरत के समय नागरिक प्रशासन को सहायता देने के अलावा देश की सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में सेना की शानदार भूमिका पर प्रकाश डाला। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सेना सुरक्षा, एचएडीआर, चिकित्सा सहायता से लेकर देश में आंतरिक स्थिति बनाए रखने तक हर क्षेत्र में मौजूद है।

सैन्य कमांडरों का इस साल का पहला सम्मेलन 28 मार्च को हाइब्रिड मोड में शुरू हुआ था। उसके बाद 01-02 अप्रैल को नई दिल्ली में फिजिकल मोड में हुए सम्मेलन में सैन्य कमांडरों ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वैचारिक मुद्दों पर विचार-मंथन किया। सम्मेलन में देश की समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के साथ चुनौतियों का आकलन किया गया। सम्मेलन में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों के साथ बातचीत भी की गई। सम्मेलन में शीर्ष नेतृत्व ने सेना की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों पर फोकस किया।

कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं पर स्थिति, भीतरी इलाकों और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों के सभी पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श किया। इसके अलावा सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन, लॉजिस्टिक्स, प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करने और विभिन्न मौजूदा वैश्विक स्थितियों के प्रभाव के आकलन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। विचार-मंथन सत्र में सैनिकों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से सेवा कर्मियों के कल्याण से संबंधित मुद्दे भी शामिल किये गए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना कमांडरों के सम्मेलन में उपस्थित होने पर अपनी खुशी दोहराई और राष्ट्र की 'रक्षा और सुरक्षा' दृष्टि को नई ऊंचाइयों पर सफलतापूर्वक ले जाने के लिए सैन्य नेतृत्व को सराहा। उन्होंने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने पर भारतीय सेना के दृष्टिकोण की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के सबसे भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक भारतीय सेना की राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ समग्र राष्ट्रीय विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे। इसलिए सशस्त्र बलों को रणनीति बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।

उन्होंने अपने भाषण का समापन यह कहकर किया कि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी आवश्यकता हो, सैद्धांतिक परिवर्तन किए जाने चाहिए। कमांडर्स कॉन्फ्रेंस जैसे मंच पर वरिष्ठ नेतृत्व की सिफारिशों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना को सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। कमांडरों से बातचीत के दौरान सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी साथ थे।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम