मालदीव और आईओआर में चीन के जासूसी जहाजों पर भारत की पैनी नजर

 

- चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपना जासूसी जहाज जियांग यांग होंग 03 भेजा

- अब जासूसी जहाजों ने आईओआर में आने के लिए मालदीव का रास्ता पकड़ा

नई दिल्ली, 25 जनवरी (हि.स.)। मालदीव और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भेजे चीनी जासूसी जहाज़ों पर भारतीय नौसेना की पैनी नजर है। चीन के जासूसी जहाज समय-समय पर श्रीलंका, मालदीव, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर में दिखाई दिए हैं। नौसेना ने अरब सागर में विदेशी व्यापारिक जहाज़ों पर हूती उग्रवादियों के हमलों के बाद भारत की समुद्री सीमा पर चौकसी बढ़ाई है। चीनी जासूसी जहाज पिछले पांच साल से श्रीलंका के रास्ते हिंद महासागर क्षेत्र में आते रहे हैं, लेकिन अब इन जहाजों ने आईओआर में आने के लिए मालदीव का रास्ता पकड़ लिया है।

भारत की ओर से समय-समय पर सैन्य हथियारों की मदद मिलने के बाद भी हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जु की बयानबाजी से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। मालदीव के प्रति भारत का कड़ा रुख अपनाने के बाद अब वहां की सरकार चीन की तरफ झुक रही है। इस बीच मुइज्जु के चीन दौरे के बाद चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपना जासूसी जहाज जियांग यांग होंग 03 भेज दिया है, जो मालदीव की तरफ बढ़ रहा है। इसके 8 फरवरी तक मालदीव की राजधानी माले पहुंचने की उम्मीद है। भारत समुद्री सीमा के आधार पर अंडमान को बहुत ही रणनीतिक द्वीप मानता है, क्योंकि यहीं से पूरे भारतीय समुद्री क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया पर नजर रखी जा सकती है।

चीनी जासूसी जहाज पिछले पांच साल से श्रीलंका के रास्ते हिंद महासागर क्षेत्र में आते रहे हैं, लेकिन अब इन जहाजों ने आईओआर में आने के लिए मालदीव का रास्ता पकड़ लिया है। दिसम्बर, 2019 में चीनी जहाज शी यान-1 भारतीय समुद्री सीमा में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर के पास दाखिल हुआ था, लेकिन संदिग्ध गतिविधियां देख भारतीय नौसेना ने उसका पीछा करके खदेड़ दिया था। चीन का यह जहाज पोर्ट ब्लेयर के पश्चिमी इलाके में रिसर्च कार्यों के लिए मौजूद था, जिसकी टोह भारतीय नौसेना को मिली थी। चीन ने दिसम्बर, 2019 में ही जियांग यांग होंग-06 को भी हिंद महासागर में तैनात किया था।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मई, 2020 में चीन के साथ जमीनी गतिरोध शुरू होने के बाद आईओआर में चीनी जहाज़ों के आने का सिलसिला बढ़ गया। इसके बाद जनवरी, 2021 में पूर्वी हिंद महासागर में 4 चीनी सर्वेक्षण जहाज समुद्र तल की मैपिंग करते दिखे। इन 4 जहाजों में से दो जियांग यांग होंग-01और दो अन्य जहाज -16 निन्यानवे रिज पर समुद्र की काफी गहराई में गहन खोज अभियान का संचालन कर रहे थे। जनवरी, 2021 में ही हिंद महासागर में चीनी सर्वेक्षण जहाज जियांग यांग होंग-03 को भी देखा गया था। इन जहाज़ों पर नजर रखने के बाद खुलासा हुआ कि चीन के चार जियांग यांग होंग शोध जहाज पिछले दो वर्षों में विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं।

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) का जासूसी जहाज युआन वांग-6 नवम्बर, 2022 में हिंद महासागर में प्रवेश करके इंडोनेशिया के बाली तट से गुजरा था। भारतीय नौसेना की पैनी नजर के चलते चीनी जहाज भारत की समुद्री सीमा में नहीं आ पाया था। चीन का यह जहाज आधिकारिक तौर पर अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत के रूप में पंजीकृत है। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि युद्धपोतों सहित विदेशी जहाज ईईजेड के माध्यम से स्वतंत्र रूप से नौकायन कर सकते हैं, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक किसी दूसरे देश की समुद्री सीमा में जाकर किसी भी तरह का रिसर्च नहीं किया जा सकता। इसीलिए भारतीय जल क्षेत्र में नौसेना किसी दूसरे देश का जहाज आने पर पैनी निगाह रखती है।

इसके बावजूद श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर लगभग पांच माह तक डेरा डालने के बाद दिसंबर, 2022 में चीनी जासूसी जहाज युआन वांग-5 हिंद महासागर क्षेत्र में आया था। इसके अलावा चीनी जासूसी जहाज युआन वांग-6 की भी तीन माह तक हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रियता देखी गई। चीन अपने जहाज युआन वांग-6 और युआन वांग-5 को 'रिसर्च शिप' कहता है, जिसका काम समुद्र में वैज्ञानिक अनुसंधान करना है। भारत और अमेरिका इन्हें 'स्पाई शिप' मानते हैं, यानी एक ऐसा जहाज दो दूसरे देशों की जासूसी करने के लिए तैनात किया जाता है। महज तीन महीने में दूसरी बार चीनी जासूसी जहाज की आवाजाही भारत और अमेरिका के विरोध जताने के बावजूद हुई थी।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन