भारतीय सेना नए नवाचारों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव ला रही: राजनाथ सिंह
लखनऊ, 15 जनवरी (हि.स.)। 76वें सेना दिवस समारोह के हिस्से के रूप में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ छावनी में एक सैन्य और युद्ध प्रदर्शन 'शौर्य संध्या' का आयोजन किया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख स्टाफ जनरल मनोज पांडे, नागरिक आमंत्रितों और सैन्य कर्मियों ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिसमें कलारीपायट्टू, गतका जैसे मार्शल आर्ट प्रदर्शन और उत्तर पूर्व योद्धाओं का प्रदर्शन शामिल रहा।
भारतीय सेना की डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम के रोमांचक प्रदर्शन के साथ-साथ रिमाउंट वेटरनरी कोर के आठ घोड़ों की टेंट पेगिंग और ट्रिक राइडिंग ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
अपने संबोधन में रक्षामंत्री ने भारतीय सैनिक के अद्वितीय चरित्र के बारे में बात की, जो देश के सांस्कृतिक मूल्यों में निहित है। उन्होंने देशभक्ति, साहस, मानवता और भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा को एक सैनिक के चार सबसे महत्वपूर्ण गुण बताये। उन्होंने कहा कि 'मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा देश सुरक्षित रहे' की भावना के साथ मातृभूमि की रक्षा करने वाला सैनिक एक अनुकरणीय देशभक्त होता है। यही देशभक्ति सैनिक को साहस प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव में हमारे सैनिकों का योगदान, साथ ही 1971 के युद्ध के दौरान उन्होंने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ जिस सम्मान के साथ व्यवहार किया, वह इस बात का प्रमाण है कि उनमें मानवता है। अपने ही पड़ोस में, हम सेना और उनके संवैधानिक मूल्यों के बीच अलगाव देख सकते हैं। लेकिन, संवैधानिक मूल्यों के प्रति भारतीय सेना की भक्ति अतुलनीय है और सभी इसे स्वीकार करते हैं।
रक्षामंत्री ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भारतीय सेना न केवल परंपरा पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि नए नवाचारों और विचारों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव भी ला रही है। उनका विचार था कि परंपरा को जड़ता की स्थिति में स्थापित नहीं किया जा सकता। इसे निरंतर प्रवाहित होना चाहिए और बदलते समय के अनुसार ढलना चाहिए।
रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का सेना, नौसेना, वायु सेना दिवस को दिल्ली के बाहर आयोजित करने का निर्णय देश की परंपरा के प्रतीक, साथ ही सैन्य प्रगति के प्रतीक समारोहों को ले जाने के विचार पर आधारित है। देश अब देख रहा है कि कैसे हमारी सेना लगातार ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित आधुनिक हथियारों, प्रौद्योगिकियों से लैस हो रही है। साथ ही सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका भी बढ़ रही है। हर व्यक्ति को सेना में शामिल होने का अवसर नहीं मिलता है, लेकिन जिन लोगों ने आज का कार्यक्रम देखा, वे देश की रक्षा के लिए हमारी सेना की तैयारियों का अनुभव कर सके। इससे लोग हमारे सैनिकों के करीब आये हैं। यह निश्चित रूप से हमारे युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने या हमारे सैनिकों के समान समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा।
श्री सिंह ने सशस्त्र बलों को मजबूत करने के सरकार के अटूट संकल्प को व्यक्त किया और कहा कि वित्त मंत्रालय बिना किसी हिचकिचाहट के रक्षा मंत्रालय द्वारा मांगी गई। धनराशि जारी करता है, जो सैनिकों के प्रति सरकार के समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल सेवारत सैनिकों, बल्कि पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, चाहे 'वन रैंक वन पेंशन' योजना हो या स्वास्थ्य देखभाल और पुनः रोजगार के अवसर प्रदान करना हो। दिग्गजों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। रक्षामंत्री ने देश की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों के योगदान को स्वीकार करना और उनका सम्मान करना लोगों की नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी बताया। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने पहले दिन का पोस्टल कवर भी लॉन्च किया।
इससे पहले दिन में 76वीं सेना दिवस परेड ठाकुर श्योदत्त सिंह परेड ग्राउंड, 11 जीआरआरसी, लखनऊ में आयोजित की गई थी। थल सेनाध्यक्ष ने परेड की समीक्षा की और वीरता पुरस्कार प्रदान किये। परेड में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और अन्य वरिष्ठ सैन्यकर्मी शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा की उपलब्धियों की याद में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। 1949 में आज ही के दिन, जनरल करिअप्पा, जिन्होंने 1947 के युद्ध में भारतीय सेना को जीत दिलाई, ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर एफआरआर बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली और पहले कमांडर-इन-चीफ बने।
हिन्दुस्थान समाचार/दीपक/आकाश