(अपडेट) महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द

 


नई दिल्ली, 08 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा ने सदस्यों के अनुचित आचरण की जांच करने वाली आचार समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द कर दी। मोइत्रा पर पैसे और उपहार लेकर लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप था।

आचार समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सदस्य विनोद सोनकर ने आज पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की। दोपहर 12 बजे रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद सदन की दो बजे शुरू हुई कार्यवाही में रिपोर्ट पर विचार किया गया। करीब एक घंटे चली चर्चा के बाद रिपोर्ट की सिफारिशों का ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया। इस दौरान विपक्ष ने सदन से बाहिर्गमन किया।

तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने मोइत्रा को सदन में समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान अपना पक्ष रखने दिए जाने का आग्रह किया जिसे अध्यक्ष ओम बिरला ने अस्वीकार कर दिया। सदन में महुआ की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के घटक दलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। विपक्षी सदस्यों ने संसद भवन परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष अपना विरोध भी जताया।

सदन से निकलने के बाद महुआ ने आचार समिति की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पहली बार इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। वह मोइत्रा के पक्ष में खुल कर उतर आई हैं। ममता ने कोलकाता में मीडियाकर्मियों से बातचीत में भाजपा पर तीखा हमला बोला और उसपर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा बदले की राजनीति करती है। महुआ के साथ अन्याय हुआ है और जनता महुआ को आगामी आम चुनाव में न्याय देगी।

भाजपा सदस्य विनोद सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में भोजनावकाश के बाद चर्चा शुरू हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने चर्चा के बाद सदन के सामने पेश प्रस्ताव पर सदस्यों की राय मांगी कि वो महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने के पक्ष में हैं या नहीं। उसके बाद मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने का फैसला ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

चर्चा प्रारंभ होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए कभी-कभी ऐसे निर्णय भी लेने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि यह पीड़ा दायक अवसर है। उन्होंने रिपोर्ट पर विचार के लिए आधा घंटे का समय तय किया। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि रिपोर्ट को दो घंटे पहले ही सदन में रखा गया और बहुत कम समय पर इसपर चर्चा कराई जा रही है। इसके लिए तीन- चार दिन का समय देना चाहिए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि 2005 में दस सदस्यों की सदस्यता समाप्त करते समय भी ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई गई थी।

कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने कहा कि मामले में क्रॉस एग्जामिनशन नहीं करने दिया गया। आचार समिति केवल दोषी होने पर विचार कर सकती है, दंड पर विचार का अधिकार उसके पास नहीं है। इसमें नियमों को ताक पर रखा गया है। इसके अलावा सभी पार्टियों ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है। ऐसे समय जब एक व्यक्ति के भाग्य का निर्णय लिया जा रहा है और हम सब जूरी की भूमिका में हैं तो व्हिप जारी करना भी नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है। इसका मतलब है कि हम सदस्यों को एक दिशा में मत देने के लिए कह रहे हैं।

भाजपा सदस्य हिना गावित ने चर्चा के दौरान समिति की रिपोर्ट में दिए तथ्यों को आगे रखते हुए सिफारिशों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम से दुनियाभर में भारतीय सांसदों की छवि खराब हो रही है। दर्शन हीरानंदानी की कंपनी कई क्षेत्रों में काम करती है। पिछले चार सालों में महुआ ने 61 प्रश्न पूछे हैं और उनमें से 51 प्रश्न केवल उन क्षेत्रों से जुड़ी है जिसमें हीरानंदानी की कंपनी काम करती है। हम यहां अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं किसी कंपनी के लिए काम नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि महुआ के लॉगिन से 47 बार दुबई और 6 बार अमेरिका, ब्रिटेन और नेपाल से लॉगिन हुआ है। उन्होंने अपना यूजर आईडी किसी अन्य को देकर नियमों का उल्लंघन किया है।

चर्चा के दौरान तृणमूल सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय और कल्याण बनर्जी ने पार्टी की ओर से महुआ मोइत्रा को बोलने दिए जाने की अनुमति मांगी, लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 2005 में 10 सांसदों की सदस्यता रद्द करने का उदाहरण देते हुए इसे उपयुक्त नहीं बताया। उन्होंने कहा कि उस वक्त तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने साफ कहा था कि चूंकि सांसदों को आचार समिति के सामने अपना पक्ष रखने का मौका मिला था। इस वजह से अब वह सदन में बोलने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी तृणमूल सदस्यों से कहा कि सदन की मान्य परंपराओं के अनुसार महुआ को बोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कल्याण बेनर्जी ने इस बात पर सवाल उठाया कि आखिर पैसे का लेन-देन कहां हुआ है यह कहीं साबित नहीं हुआ है।

जदयू के गिरधारी यादव ने कहा कि समिति की जांच के दौरान सांसद को बुलाया गया लेकिन बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी को नहीं बुलाया गया। क्रास एग्जामिनेशन नहीं करने दिया गया। उन्होंने कहा कि आरोप लगाया जा रहा है कि यूजर आईडी पासवर्ड साझा किए गए। वे स्वयं अपना यूजर आईडी प्रयोग नहीं करते उनका पीए करता है।

इसी बीच लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर आपत्ति जताई कि यह सदन न्यायीश की भूमिका में है। यह काम आचार समिति ने किया है और आचार समिति ने अपनी सिफारिशें दी हैं। सदन केवल इनपर विचार कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर प्रश्न पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने इन आरोपों पर जांच समिति से जांच कराए जाने की मांग की थी। दूबे के आरोप पर लोकसभा अध्यक्ष ने मामले को संसद की आचार समिति को भेज दिया था। दुबे का आरोप था कि महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से प्रश्न पूछे जाने के एवज में रिश्वत और उपहार लिए हैं। इन आरोपों का बिजनेसमैन हीरानंदानी ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने समिति को इस संबंध में एफिडेविट भी दिया था।

हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/अनूप/पवन