Kanwar Yatra 2024: डाक कांवड़ क्या होती है? कितने दिन में पूरी करनी होती है यात्रा

सावन के महीने में की जाने वाली कांवड़ यात्रा उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है।सावन का पवित्र महीना, भगवान शिव की भक्ति और कांवड़ यात्रा के लिए जाना जाता है। भगवान शिव के भक्तों द्वारा श्रावण मास (सावन) में कांवड़ यात्रा की जाती है। यह धार्मिक यात्रा बहुत पवित्र मानी जाती है। कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु लोग पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए शिव मंदिरों तक पहुंचते हैं और उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति व आराधना करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है। कांवड़ यात्रा में डाक कांवड़ का प्रचलन बहुत तेजी के साथ बढ़ा है। हर साल सावन में डाक कांवड़ लेकर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। 

 

सावन के महीने में की जाने वाली कांवड़ यात्रा उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है।सावन का पवित्र महीना, भगवान शिव की भक्ति और कांवड़ यात्रा के लिए जाना जाता है। भगवान शिव के भक्तों द्वारा श्रावण मास (सावन) में कांवड़ यात्रा की जाती है। यह धार्मिक यात्रा बहुत पवित्र मानी जाती है। कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु लोग पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए शिव मंदिरों तक पहुंचते हैं और उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति व आराधना करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है। कांवड़ यात्रा में डाक कांवड़ का प्रचलन बहुत तेजी के साथ बढ़ा है। हर साल सावन में डाक कांवड़ लेकर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। 


डाक कांवड़ क्या होती है और क्यों होती है ये सबसे कठिन यात्रा?
डाक कांवड़ एक विशेष प्रकार की कांवड़ यात्रा होती है। इस कावड़ यात्रा को सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि इस यात्रा के कुछ कठोर नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। एक बार कांवड़ उठा लेने के बाद कांवड़िये को भगवान शिव के जलाभिषेक होने तक लगातार चलना पड़ता है। इसलिए डाक कांवड़ के दौरान भक्त बिना रुके और बिना विश्राम किए दिन और रात दोनों समय यात्रा पर चलते रहते हैं। एक निश्चित समय में या 24 घंटे के अंदर ये यात्रा पूरी करनी होती है। इसलिए अन्य कांवड़ यात्राओं की तुलना में, डाक कांवड़ यात्रा बहुत तेज गति से पूरी की जाती है। 

यह यात्रा कुछ लोगों की टोली बनाकर किसी वाहन के द्वारा की जाती है। इस यात्रा में शामिल लोगों में से एक या दो सदस्य, गंगा जल को हाथ में लेकर लगातार बिना रुके दौड़ते रहते हैं। इन सदस्यों के थक जाने के बाद दूसरा सदस्य दौड़ने के लिए आ जाता है और पहले सदस्य अपनी टोली के पास वाहन में बैठ जाते हैं। इसलिए डाक कांवड़ को सबसे मुश्किल माना जाता है। इस यात्रा में पवित्रता और शुद्धता का भी खास ख्याल रखा जाता है। 

कांवड़ यात्रा के मुख्य चरण

गंगा जल का संग्रह
कांवड़ यात्रा पर जाते समय श्रद्धालु लोग सबसे पहले गंगा नदी से अपने विशेष पात्रों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए जल भरते हैं। 

बांस की बनी कांवड़
कांवड़ यात्रा के लिए भक्त बांस की बनी कांवड़ का उपयोग करते हैं, जिसमें दोनों ओर गंगा जल से भरे पात्र या कैन लटके होते हैं। 

शिवभक्ति करते हुए यात्रा
जल लेने के बाद भक्तजन शिव के जयकारे लगाते हुए और भजन-कीर्तन करते हुए, शिवरात्रि तक अपनी यात्रा करते हैं। 

कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा में भक्तों को शुद्धता और संयम का पालन करना होता है। शराब, मांसाहार और अन्य तामसिक चीजों से पूरी तरह से दूर रहना होता है।