उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने वाले कल्याण बनर्जी का है विवादों से पुराना नाता, अपनी पार्टी के लिए भी खड़ी कर चुके हैं मुश्किलें
कोलकाता, 21 दिसंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल (मिमिक्री) करने को लेकर विवादों में घिरे तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी का विवादों से पुराना नाता है। बनर्जी का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधने के लिए विवादास्पद टिप्पणियां करने का पुराना इतिहास रहा है। राजनीतिक विवाद की शुरुआत तब हुई जब बनर्जी ने विपक्षी दलों के विरोध के दौरान संसद की सीढ़ियों पर मंगलवार को धनखड़ की ‘मिमिक्री’ की और सांसदों के निलंबन की निंदा की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बनर्जी के इस कृत्य और राहुल गांधी की ओर से इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग किये जाने की कड़ी आलोचना की है। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा धनखड़ की नकल करने को लेकर विवाद बुधवार को केंद्र में रहा, जिसकी गूंज संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह सुनाई दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की।
संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने सदन में कहा कि वह संसद या उपराष्ट्रपति के संवैधानिक पद का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके जवाब में बनर्जी ने स्पष्ट किया कि मंगलवार को संसद परिसर में अपने कृत्य से उनका किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था। वकील से नेता बने कल्याण बनर्जी (66) पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ (अब उपउपराष्ट्रपति) के खिलाफ टिप्पणी करते रहे हैं। बनर्जी के इस पुराने रिकॉर्ड के कारण राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें ‘लूज कैनन’ उपनाम दिया है। ‘लूज कैनन’ से आशय एक ऐसे व्यक्ति से है, जिसका खुद के व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रहता और वह अपने कृत्य से दूसरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देता है।
छात्र राजनीति में सक्रिय रहे बनर्जी ने कानून में स्नातक किया है और वह ममता बनर्जी के कट्टर समर्थक रहे हैं। वह पहली बार 2001 में पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। पश्चिम बंगाल में श्रीरामपुर लोकसभा सीट से तीन बार संसद चुने गये बनर्जी पहली बार 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की आलोचना को लेकर विवादों के केंद्र में आए। बनर्जी ने शहर के सांस्कृतिक केंद्र, नंदन में बिताए गए समय को लेकर भट्टाचार्य की आलोचना की थी। वर्ष 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार से तृणमूल के समर्थन वापस लेने के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के मुद्दे पर बनर्जी और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई थी। चार साल बाद कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक कार्यालय के बाहर नोटबंदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की जिनकी व्यापक निंदा की गई।
जनवरी 2021 में, विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कल्याण बनर्जी ने उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना पर भाजपा की आलोचना करते हुए देवी सीता और भगवान राम का जिक्र करके विवाद खड़ा कर दिया था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और भाजपा ने बनर्जी की तीखी आलोचना की और कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में धनखड़ के कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार का अक्सर उनसे टकराव होता रहता था। कई मौकों पर बनर्जी ने अन्य नेताओं के साथ राजभवन के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व किया। कल्याण बनर्जी पार्टी के अंदर अपनी कानूनी-सूझबूझ के लिए जाने जाते हैं और आवश्यक मामलों में वह राज्य सरकार को कानूनी सलाह भी देते हैं।
अपनी भी पार्टी के खिलाफ बयान को लेकर थे सुर्खियों में
बावजूद इसके हाल ही में उन्होंने अपने ही पार्टी के अंदर ममता बनर्जी प्रणाम अभिषेक बनर्जी को लेकर एक विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने अभिषेक बनर्जी को बच्चा करार दिया था और कहा था कि नेता ममता बनर्जी ही रहेंगी। इसके बाद तृणमूल में उन्हें मुश्किल वक्त से गुजरना पड़ा था। बाद में उन्हें अपने बयान के लिए दुख जाहिर करना पड़ा था और अभिषेक बनर्जी की सराहना में कई बार बयानबाजी करनी पड़ी, जिसके बाद पार्टी में उन्हें दोबारा तरजीह मिलनी शुरू हुई।
हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/गंगा/आकाश