बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जमीअत उलमा-ए-हिंद ने स्वागत किया
- जमीअत अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसे न्याय की जीत बताया
नई दिल्ली, 8 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के जरिए बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई से संबंधित गुजरात सरकार की प्रक्रिया को रद्द किए जाने का जमीअत उलमा-ए-हिंद ने स्वागत किया है।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कानून और न्याय के शासन की जीत है। इसका स्पष्ट संदेश है कि किसी भी स्थिति में न्याय से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि यह फैसला भविष्य के लिए उदाहरण बनेगा कि सरकारों को न्याय प्रदान करने में निष्पक्ष एवं गैर-पक्षपातपूर्ण होना चाहिए।
ज्ञात हो कि 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया और परिवार के कई सदस्यों की हत्या कर दी थी।
मौलाना मदनी ने बताया कि बिलकिस बानो का मामला लंबे संघर्ष और बलिदानों से भरा हुआ है। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए जहां तीस से अधिक कॉलोनियों का निर्माण करवाया, वहीं बिलकिस बानो सहित कई मुकदमे लड़े।
उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात पुलिस ने जांच में लापरवाही की, जिसके कारण किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। गुजरात सरकार के रवैये के कारण बिलकिस बानो का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थानांतरित हो गया। मौलाना मदनी ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट में जमीअत उलमा–ए-हिंद और जन विकास नामक संगठन ने मुकदमे की पैरवी की। इसके साथ ही जमीअत ने रणधीरपुर के लोगों के लिए बारिया नामक कस्बे में 'रहीमाबाद' के नाम से एक कॉलोनी का निर्माण करवाया, जहां बिलकिस बानो अपने पति के साथ रहने लगी। 2022 में जब इन अपराधियों की रिहाई हुई तो गांव में डर का माहौल पैदा हो गया था।
हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद शहजाद/संजीव