जमात-ए-इस्लामी ने अजान पर प्रतिबंध की मांग खारिज करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया

 




- गुजरात हाई कोर्ट ने अजान को ध्वनि प्रदूषण मानने से इनकार किया

नई दिल्ली, 01 दिसंबर (हि.स.)। जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कोर्ट ने लाउडस्पीकर के माध्यम से होने वाली अजान को ध्वनि प्रदूषण मानने से इनकार किया।

हाई कोर्ट ने अजान पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) मंगलवार को खारिज कर दी थी। इस पर जमात उपाध्यक्ष ने कहा कि हम गुजरात हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध की खंडपीठ के फैसले का स्वागत करते हैं। हम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह सहमत हैं कि यह याचिका पूरी तरह से गलत थी और यह समझना मुश्किल था कि लाउडस्पीकर के माध्यम से दी जाने वाली अजान कैसे मानक सीमा से अधिक हो सकती है और उसके ध्वनि प्रदूषण से बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो रहा है।

खान ने आगे कहा कि जमात को लगता है कि अन्य धार्मिक प्रथाओं के दौरान उत्पन्न शोर की तुलना में अजान के कारण शोर को निशाना बनाना और स्वास्थ्य खतरे के बारे में शिकायत में स्पष्ट विरोधाभास था। मंदिरों और अन्य धार्मिक जुलूसों में भजन या आरती के दौरान तेज संगीत को अनदेखा करके अजान पर आक्रोश से धार्मिक पूर्वाग्रह झलकता है। दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक परिवेश में ऐसा रुझान पैठ बना रहा है। भारत में धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का गौरवशाली इतिहास रहा है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष ने कहा कि हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि अजान मुसलमानों को मस्जिदों में पांच बार की अनिवार्य सामूहिक प्रार्थना में शामिल होने के लिए एक आह्वान के रूप में होती है। यह प्रथा पैगंबर मोहम्मद साहब ने शुरू की थी और आज भी जारी है। अजान के शब्द हमारे और संसार के निर्माता की महानता का उद्घोष है और गवाही देते हैं कि मोहम्मद साहब ईश्वर के पैगंबर हैं। यह शांति का आह्वान है। जमात को लगता है कि हमारे देश के लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका विविधता के बीच हमारी एकता का जश्न मनाना और प्यार और करुणा फैलाना है।

हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/सुनीत