Jagannath Rath Yatra 2024: पुरी में मजार के सामने क्यों रुकता है भगवान जगन्नाथ का रथ, जानिए वजह
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 7 जुलाई को बहुत ही धूमधाम के साथ निकाली जाएगी, इसका समापन 9 जुलाई को होगा.हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा जोर-शोर से निकाली जाती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ तीन रथों में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस भव्य आयोजन के साक्षी लाखों लोग बनते हैं। मान्यता है कि जो भी मनुष्य एक बार भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी को हाथ लगा देता है वह भव सागर से तर जाता है। हैरानी की बात ये है कि जब भी भगवान का रथ नगर भ्रमण के लिए निकलता है तो उसके पहिये एक मजार के सामने आकर रुक जाते हैं। यह बात सभी को हैरान करती है कि आखिर जगत के पालनहार का रथ एक मजार के सामने क्यों रुक जाता है। क्या है इसके पीछे की कहानी जानें यहां.
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 7 जुलाई को बहुत ही धूमधाम के साथ निकाली जाएगी, इसका समापन 9 जुलाई को होगा.हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा जोर-शोर से निकाली जाती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ तीन रथों में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस भव्य आयोजन के साक्षी लाखों लोग बनते हैं। मान्यता है कि जो भी मनुष्य एक बार भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी को हाथ लगा देता है वह भव सागर से तर जाता है। हैरानी की बात ये है कि जब भी भगवान का रथ नगर भ्रमण के लिए निकलता है तो उसके पहिये एक मजार के सामने आकर रुक जाते हैं। यह बात सभी को हैरान करती है कि आखिर जगत के पालनहार का रथ एक मजार के सामने क्यों रुक जाता है। क्या है इसके पीछे की कहानी जानें यहां-
मजार पर क्यों रुकता है भगवान जगन्नाथ का रथ
हर किसी के जहन में ये सवाल जरूर आता है कि आखिर ये किसकी मजार है जिसके सामने भगवान जगन्नाथ का रथ भी थम जाता है। इससे जुड़ा एक किस्सा आपको बता रहे हैं। मान्यता है कि सालबेग नाम का एक मुस्लिम भगवान जगन्नाथ का बहुत ही बड़ा भक्त था। भगवान के प्रति उसकी श्रद्धा अपार थी। एक दिन भगवान जगन्नाथ ने अपने अनन्य भक्त को सपने में आकर दर्शन दिए, अपने प्रभु के दर्शन पाते ही सालबेग ने प्राण त्याग दिए. इस घटना के बाद जब जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जा रही थी तभी नगर भ्रमण के दौरान रथ का पहिया अचानक मजार के सामने आकर रुक गया।
इस दौरान रथ यात्रा में मौजूद हजारों-लाखों लोगों की भीड़ ने भगवान जगन्नाथ से उनके अनन्य भक्त सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की, उसके बाद ही रथ नगर भ्रमण के लिए आगे बढ़ा.तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है। हर साल जब भी पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो सालबेग की मजार के सामने उनका रथ थोड़ी देर के लिए जरूर रोका जाता है।
क्या है रथ यात्रा निकालने के पीछे की कहानी
रथ यात्रा की खास बात ये है कि भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है। उनकी छोटी बहन सुभद्रा का रथ बीच में और बड़े भाई बलराम का रथ सबसे आगे चलता है। तीनों भाई बहन अपनी मौसी के घर घूमने मौसी बाड़ी जाते हैं। इसके पीछे एक कथा की प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की छोटी बहन सुभद्रा ने एक बार नगर में घूमने की इच्छा जाहिर की थी। जिसके बाद भगवना जगन्नाथ अपने बड़े भाई के साथ छोटी बहन को लेकर नगर घुमाने निकले थे। इस दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए थे। वहां पर वह 7 दिन तक रुके थे। उसी मान्यता के मुताबिक रथ यात्रा का आयोजन पुरी में हर साल बहुत ही धूमधाम से किया जाता है।