राज्य सभा में उठा सोशल मीडिया पर बच्चों का चित्रण और गिग वर्करों का मुद्दा

 


नई दिल्ली, 05 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सभा की मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति ने शुक्रवार को सोशल मीडिया में बच्चों के चित्रण का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि सोशल मीडिया मंचों पर बच्चों के चित्रण के लिए स्पष्ट नियम बनाए जाएं ताकि नई पीढ़ी को सही मूल्य और बेहतर सामाजिक शिक्षा मिल सके। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्डा ने सदन में गिग वर्कर की परेशानियों का मद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि डिलीवरी बॉयज और अन्य गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं और कंपनियों द्वारा थोपे जा रहे 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को तुरंत खत्म किया जाए।

शून्यकाल के दौरान सुधा मूर्ति ने सोशल मीडिया पर बच्चों को चित्रित किए जाने के तरीकों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और फ्रांस जैसे कई विकसित देशों में बच्चों के चित्रण पर लागू नियमों का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा, “बच्चे हमारा भविष्य हैं और हमें उन्हें अच्छे मूल्य, शिक्षा, खेल और अन्य गतिविधियों के माध्यम से विकसित करना चाहिए। सोशल मीडिया अब बहुत लोकप्रिय हो गया है और इसके कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। कई माता-पिता अपने मासूम बच्चों को सोशल मीडिया पर विभिन्न तरीकों से चित्रित करते हैं।

इसके लिए सरकार को स्पष्ट नियम बनाने चाहिए।

सांसद राघव चड्ढा ने गिग वर्कर्स की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ‘जोमैटो, स्विगी के डिलीवरी ब्वॉय, ओला एवं उबर के ड्राइवर, ब्लिंकिट एवं जैप्टो के राइडर एवं अर्बन कंपनी के प्लंबर या ब्यूटीशियन वैसे तो गिग वर्कर हैं लेकिन वास्तव में ये लोग भारतीय अर्थव्यवस्था के अनदेखे पहिये हैं।’

दिहाड़ी मजदूरों से भी बदतर हालत

उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी में अहम बदलाव लाने वाली ई कॉमर्स और इन्स्टा डिलीवरी कंपनियां इन ‘खामोश कार्यबल’ की बदौलत अरबों रुपये कमा चुकी हैं और कमा रही हैं लेकिन यह बदलाव लाने वाले और इन कंपनियों को अरबपति बनाने वाले कामगारों की हालत दिहाड़ी मजदूरों से भी बदतर है।

सरकार से आग्रह करते हुए राघव चड्डा ने कहा कि गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं और कंपनियों द्वारा थोपे जा रहे 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को तुरंत खत्म किया जाए।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी