नई योजनाएं बनाते समय जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न मुद्दों को ध्यान में रखा जाना चाहिए : परषोत्तम रूपाला

 


नई दिल्ली, 17 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पूसा संस्थान में बुधवार को आयोजित हाइब्रिड मोड में मत्स्य पालन और जलीय कृषि बीमा सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने चिह्नित लाभार्थियों को समूह दुर्घटना बीमा योजना के चेक वितरित किए।

इस मौके पर उन्होंने हितधारकों से पोत बीमा योजनाओं के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए अपने सुझाव और इनपुट के साथ आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) काफी सफल रही है और इसी तरह की सफलता को मछुआरा समुदाय के बीच फसल बीमा और पोत बीमा के लिए भी दोहराया जाना चाहिए। नई योजनाएं बनाते समय जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न मुद्दों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

मतस्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि विभाग जापान और फिलीपींस जैसे अन्य देशों में मछुआरों के लिए सफल बीमा मॉडल का अध्ययन करेगा और उनके अनुभवों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार कंपनियों से पोत बीमा योजनाओं को बढ़ावा दे रही है और ऐसी योजनाओं के लिए सामान्य मापदंडों पर काम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। मछुआरा समुदाय के साथ विश्वास की कमी को दूर करने के लिए फसल बीमा के तहत योजनाओं की समीक्षा की जा रही है। एक्वाकल्चर और वेसल्स इंश्योरेंस कॉन्फ्रेंस में बीमा के साथ-साथ मत्स्य पालन क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को शामिल किया गया।

इस मौके पर एफएओ अधिकारियों, सीएमएफआरआई और सीआईबीए के वैज्ञानिकों, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मत्स्यफेड, केरल और द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रतिनिधियों सहित उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के साथ भी विचार-विमर्श किया गया। किसानों और मत्स्य संघों ने मत्स्य पालन बीमा का लाभ उठाने में आने वाली चुनौतियों से संबंधित अपने अनुभव साझा किए।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल